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झारखंड का वित्तीय प्रबंधन देश में सर्वश्रेष्ठ, न्यूनतम ऋण के बावजूद आर्थिक स्थिति मजबूत: मंत्री सुदिव्य कुमार.

रांची: झारखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां ऋण की राशि सबसे कम होने के बावजूद वित्तीय प्रबंधन को सर्वश्रेष्ठ माना जा रहा है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस विषय पर चर्चा हुई, जब कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव और झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर सवाल उठाया।

क्या था सवाल?

विधायकों ने सरकार से झारखंड की ऋण स्थिति और आर्थिक प्रबंधन पर स्पष्ट जानकारी मांगी। उन्होंने जानना चाहा कि जब अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड का कर्ज सबसे कम है, तब भी विकास कार्यों के लिए किस तरह संसाधनों का प्रबंधन किया जा रहा है।

मंत्री सुदिव्य कुमार का जवाब

राज्य के वित्त मंत्री सुदिव्य कुमार ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि झारखंड का वित्तीय प्रबंधन देश के अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल है। उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार ने संसाधनों के कुशल उपयोग, राजस्व संग्रहण में सुधार और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के कारण वित्तीय मजबूती हासिल की है।

मंत्री ने कहा, “झारखंड में आर्थिक संतुलन बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं। हमारी सरकार कर्ज लेने की बजाय अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर रही है। यही वजह है कि झारखंड की आर्थिक स्थिति बेहतर बनी हुई है, और हम न्यूनतम ऋण के बावजूद विकास कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं।”

राजस्व संग्रह और विकास योजनाएं

मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने कर प्रणाली को मजबूत किया है, जिससे राजस्व में लगातार वृद्धि हो रही है। साथ ही, बजट का प्रभावी इस्तेमाल सुनिश्चित कर भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखा गया है।

उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में कृषि, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए योजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है। सरकार की नीतियों के कारण झारखंड आत्मनिर्भर बन रहा है और कम ऋण लेकर भी विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

सरकार के वित्तीय मॉडल की तारीफ

विधानसभा में वित्त मंत्री के जवाब के बाद सत्ता पक्ष के विधायकों ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन की सराहना की। उन्होंने कहा कि झारखंड ने कम ऋण लेकर भी आर्थिक संतुलन बनाए रखा है, जिससे यह देश में वित्तीय अनुशासन का एक सफल मॉडल बनकर उभरा है।

झारखंड सरकार की इस नीति को लेकर विपक्ष ने भी सहमति जताई, लेकिन कुछ क्षेत्रों में और अधिक निवेश की मांग की। फिलहाल, राज्य की वित्तीय नीतियों को लेकर सदन में सकारात्मक चर्चा देखने को मिली।

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