ओडिशा के बरगढ़ जिले स्थित देब्रिगढ़ अभयारण्य में बाइसन संरक्षण के सफल प्रयासों के जश्न के रूप में एक विशेष उत्सव का आयोजन किया गया। यह अभयारण्य भारत के सबसे बड़े बाइसन समूहों में से एक का घर है और संरक्षण के क्षेत्र में सफलता की मिसाल बना है।
इस उत्सव का उद्देश्य बाइसन के महत्व को उजागर करना और इस प्रजाति के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीणों, वन अधिकारियों और वन्यजीव प्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
उत्सव के दौरान बाइसन की जीवनशैली, उनके रहन-सहन और पर्यावरण में उनके योगदान पर विशेष प्रस्तुतियां दी गईं। बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता और स्कूल के छात्रों के लिए जागरूकता अभियान भी आयोजित किए गए।
देब्रिगढ़ अभयारण्य में हाल के वर्षों में बाइसन की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वन विभाग के अनुसार, वहां अब लगभग 200 बाइसन मौजूद हैं।
अभयारण्य के अधिकारियों ने बताया कि इस सफलता के पीछे वन विभाग द्वारा किए गए गश्त अभियान, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और शिकार पर सख्ती से लगाम लगाना शामिल है।
वन्यजीव विशेषज्ञों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि देब्रिगढ़ अभयारण्य अब देशभर के संरक्षण स्थलों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया है।
ओडिशा सरकार ने घोषणा की है कि बाइसन संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए इस उत्सव को हर साल आयोजित किया जाएगा।
वन विभाग ने स्थानीय निवासियों को बाइसन की सुरक्षा में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और जंगल में कचरा न फेंकने जैसी आदतों पर विशेष जोर दिया।
बाइसन संरक्षण उत्सव ने पर्यावरण प्रेमियों को प्रेरित किया और सभी को प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में योगदान देने की सीख दी।



