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बांग्लादेश ने चीन से मांगा 50 साल का जल प्रबंधन मास्टरप्लान, भारत की बढ़ी चिंता.

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद युनुस ने चीन से जल प्रबंधन को लेकर 50 साल का मास्टरप्लान साझा करने की मांग की है।

यह मांग चीन के जल संसाधन मंत्री ली गुओयिंग के साथ बैठक के दौरान रखी गई।

चीन तिब्बत में यारलुंग ज़ंग्बो नदी पर विशाल जलविद्युत बांध बनाने जा रहा है।

इस परियोजना को लेकर भारत और बांग्लादेश दोनों में गंभीर चिंताएँ जताई जा रही हैं।

युनुस ने चीन के जल प्रबंधन प्रणाली की तारीफ करते हुए अनुभव साझा करने की अपील की।

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में नदियों की भरमार है, जिससे बाढ़ और अन्य समस्याएँ पैदा होती हैं।

भारत ने भी इस मेगा डैम पर अपनी चिंता व्यक्त की है, जिससे ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रभाव पड़ सकता है।

भारत के अनुसार, चीन को अपनी परियोजनाओं को पारदर्शी रखना चाहिए और प्रभावित देशों से सलाह-मशविरा करना चाहिए।

चीन का दावा है कि यह परियोजना स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बनाई जा रही है।

ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए जल संसाधन का अहम स्रोत है।

इस डैम से भारत और बांग्लादेश में जल आपूर्ति और पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है।

भारत ने चीन से आग्रह किया है कि निचले इलाकों में बसे देशों के हितों को नुकसान न पहुँचाया जाए।

युनुस की यह अपील भारत-बांग्लादेश-चीन संबंधों में संतुलन बनाने की कूटनीतिक कोशिश मानी जा रही है।

इस बीच, BIMSTEC शिखर सम्मेलन में मोदी और युनुस की संभावित बैठक को लेकर अटकलें तेज़ हैं।

बांग्लादेश ने मोदी और युनुस की मुलाकात के लिए भारत से पहल करने की अपील की है।

हालांकि, भारत ने अभी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

युनुस ने चीन के निवेशकों को तीस्ता नदी जल प्रबंधन परियोजना में शामिल होने का न्योता दिया है।

इससे भारत की चिंता और बढ़ सकती है क्योंकि यह परियोजना पहले भारत को सौंपी गई थी।

विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश चीन के साथ अपने जल सहयोग को विस्तार देने की कोशिश कर रहा है।

भारत इस मुद्दे पर रणनीतिक धैर्य रखते हुए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।

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