सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में पुरुषों के बीच बेरोजगारी दर 2023 के 6% से बढ़कर 2024 में 6.1% हो गई है। इसके विपरीत, इसी अवधि में महिलाओं के बीच बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो 2023 के 8.9% से घटकर 2024 में 8.2% हो गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए बेरोजगारी दर में कमी दर्ज की गई है। ग्रामीण पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर 2023 के 4.5% से घटकर 2024 में 4.2% हो गई, जबकि ग्रामीण महिलाओं के लिए यह 2023 के 4.1% से घटकर 3.8% हो गई।
कुल मिलाकर, राष्ट्रीय बेरोजगारी दर में गिरावट एक सकारात्मक संकेत है, जो अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार और अधिक रोजगार के अवसरों के सृजन का सुझाव देती है। हालांकि, शहरी पुरुषों के बीच बेरोजगारी में मामूली वृद्धि चिंता का विषय बनी हुई है और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी के अलग-अलग रुझान श्रम बाजार की जटिलताओं को दर्शाते हैं। शहरी क्षेत्रों में, शिक्षा और कौशल के स्तर में अंतर के कारण पुरुषों के लिए रोजगार पाना महिलाओं की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और संबंधित गतिविधियों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि से बेरोजगारी दर में कमी आई हो सकती है।
सरकार ने रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए कई पहल की हैं। इन प्रयासों में कौशल विकास कार्यक्रम, स्वरोजगार को प्रोत्साहन और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश शामिल हैं। पीएलएफएस के ये आंकड़े इन पहलों के प्रभाव का आकलन करने में मदद करते हैं।
आने वाले वर्षों में, शहरी पुरुषों के बीच बेरोजगारी की प्रवृत्ति पर बारीकी से नजर रखने की आवश्यकता होगी और इस जनसांख्यिकी के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए लक्षित नीतियां तैयार करने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, महिलाओं के बीच बेरोजगारी में गिरावट को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।



