देहरादून: हिमालय की छाया में स्थित उत्तराखंड की पहाड़ियों में, जहां बंजर जमीन ने किसानों से खुशियां छीन ली थीं.
अब बल्गेरियाई गुलाब समृद्धि की खुशबू फैला रहे हैं। कभी वीरान दिखने वाली ढलानों पर अब रंग-बिरंगे गुलाबों की बहार आई है, जो न केवल किसानों की आय बढ़ा रही है, बल्कि पूरे क्षेत्र में खुशहाली का माहौल पैदा कर रही है।
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में किसानों ने पारंपरिक खेती छोड़कर बल्गेरियाई गुलाब की खेती को अपनाया है, जो उन्हें बेहतर आर्थिक अवसर प्रदान कर रही है। इन गुलाबों की खेती से किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया है।
बल्गेरियाई गुलाब अपनी विशेष सुगंध और उच्च तेल सामग्री के लिए जाने जाते हैं, जिनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। इन गुलाबों से प्राप्त तेल का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले परफ्यूम और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है।
राज्य सरकार भी किसानों को बल्गेरियाई गुलाब की खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और उन्हें तकनीकी सहायता तथा आवश्यक संसाधन उपलब्ध करा रही है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को प्रशिक्षण कार्यक्रम और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे वे इस नई फसल की खेती आसानी से कर सकें।
बल्गेरियाई गुलाब की खेती न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो रही है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है। इन गुलाबों की खेती से बंजर भूमि का उपयोग हो रहा है और मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ रही है।
गुलाब की खेती से जुड़े किसानों का कहना है कि इससे उनके जीवन में एक नई उम्मीद और उत्साह का संचार हुआ है। पहले जहां वे अपनी बंजर जमीन को लेकर चिंतित रहते थे, वहीं अब गुलाबों की खेती से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है और वे खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
उत्तराखंड के कई पहाड़ी जिलों जैसे [काल्पनिक जिले का नाम] और [एक और काल्पनिक जिले का नाम] में बल्गेरियाई गुलाब की खेती तेजी से फैल रही है। किसान अब सामूहिक रूप से अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने और बेहतर मूल्य प्राप्त करने के लिए सहकारी समितियां भी बना रहे हैं।
इस पहल से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती की ओर भी ध्यान दे रहे हैं।
बल्गेरियाई गुलाब की खुशबू न केवल खेतों में बल्कि किसानों के घरों और पूरे क्षेत्र में फैल रही है, जो समृद्धि और खुशियों का प्रतीक बन गई है।



