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जम्मू-कश्मीर सरकार मध्य कश्मीर के गांदरबल में सेमी रिंग रोड II परियोजना के लिए संरक्षित अखरोट के पेड़ों को काट रही है।

तहसीलदार वाकुरा ने इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी किया है, जिसमें रिंग रोड के संरेखण के तहत आने वाले पेड़ों को गिराने की अनुमति दी गई है। इस कदम से पर्यावरण कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में चिंता और नाराजगी है, क्योंकि अखरोट के पेड़ इस क्षेत्र की जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

आदेश के अनुसार, रिंग रोड परियोजना के लिए वाकुरा तहसील के कई गांवों में बड़ी संख्या में अखरोट के पेड़ों को काटा जाएगा। इन पेड़ों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित किया गया था, लेकिन सरकार का कहना है कि विकास परियोजनाओं के लिए कुछ पेड़ों को काटना आवश्यक है। हालांकि, पर्यावरणविदों का तर्क है कि इन पेड़ों को काटे जाने से क्षेत्र के पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और वन्यजीवों के आवास नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।

स्थानीय निवासियों ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि अखरोट के पेड़ उनकी आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं और इन्हें काटे जाने से उन्हें आर्थिक नुकसान होगा। उन्होंने सरकार से परियोजना के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने का आग्रह किया है ताकि संरक्षित पेड़ों को बचाया जा सके। इस मुद्दे पर सरकार और स्थानीय लोगों के बीच तनाव बढ़ रहा है, और यह देखना होगा कि प्रशासन इस विरोध को कैसे संभालता है।

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