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ऑपरेशन सिंदूर में शामिल महिला अधिकारी को सेवा से न हटाएं.

 सुप्रीम कोर्ट का IAF को निर्देश.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना को आदेश दिया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भाग लेने वाली विंग कमांडर निकिता पांडे को सेवा से बाहर न किया जाए। यह फैसला न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। निकिता पांडे ने अपने स्थायी कमीशन से वंचित किए जाने को लेकर भेदभाव का आरोप लगाया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कोर्ट को बताया कि पांडे एक विशेषज्ञ फाइटर कंट्रोलर हैं और उन्होंने ऑपरेशन बालाकोट और सिंदूर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने 13.5 वर्षों तक सेवा दी है लेकिन 2019 की एक नीति के कारण उन्हें स्थायी कमीशन नहीं मिला और अब उन्हें सेवा से हटाया जा रहा है। कोर्ट ने माना कि इतने वर्षों की सेवा के बाद सेवा की अनिश्चितता उचित नहीं है।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि चयन बोर्ड ने अधिकारी को अनफिट करार दिया था, लेकिन अब एक नया बोर्ड उनके मामले पर विचार करेगा। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक निकिता पांडे को सेवा से न हटाया जाए और मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इससे अधिकारी के पक्ष में अंतिम रूप से कोई अधिकार नहीं बनता।

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