उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एक अभिनव उपकरण विकसित किया है। यह नया उपकरण गहरे समुद्र में मछली पकड़ने जाने वाले मछुआरों को समुद्री खतरों से बचाने और उन्हें मछली के झुंडों का पता लगाने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करेगा, जिससे उनकी दक्षता और सुरक्षा दोनों बढ़ेगी।
इस उपकरण में एक ट्रांसपोंडर लगा होगा जिसके माध्यम से गहरे समुद्र में जाने वाले ट्रॉलरों की निगरानी भी की जा सकेगी। यह ट्रांसपोंडर न केवल मछुआरों को नेविगेशन में मदद करेगा, बल्कि यदि वे भारतीय समुद्री सीमा को पार कर बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों के जलक्षेत्र में भटक जाते हैं, तो यह एक खतरे का अलर्ट भी भेजेगा। यह सुविधा मछुआरों को अनजाने में सीमा पार करने और उसके परिणामस्वरूप होने वाली गिरफ्तारी या अन्य समस्याओं से बचाएगी।
इसरो की यह पहल भारत सरकार के ‘ब्लू इकोनॉमी’ (नीली अर्थव्यवस्था) को बढ़ावा देने के प्रयासों का एक हिस्सा है। यह तकनीक मछुआरा समुदाय के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी, मछली पकड़ने के उनके प्रयासों को अधिक कुशल बनाया जा सकेगा और समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग भी संभव हो पाएगा।



