
पटना, बिहार: विश्व मगरमच्छ दिवस 2025 के अवसर पर वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को एक नई गति मिली है। इस विशेष दिन पर, भारत में गंडक नदी में कुल 174 छोटे घड़ियालों को सफलतापूर्वक उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ा गया है, जो इस गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस वर्ष के विश्व मगरमच्छ दिवस का विषय ‘मगरमच्छों और समुदायों को जोड़ना’ (Connecting Crocodiles and Communities) है, जो उनके अस्तित्व के लिए सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देता है।
इस वर्ष का विषय हमें यह याद दिलाता है कि मगरमच्छों को समझना और उनकी रक्षा करना केवल संरक्षणवादियों का काम नहीं है, बल्कि यह हम सभी की एक सामूहिक जिम्मेदारी है। ये अद्भुत जीव अपने पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जल निकायों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। मगरमच्छ कई मिलियन वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं, जिससे वे ‘जीवित जीवाश्म’ कहलाते हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि वे ठंडे खून वाले जानवर होते हैं, जो अपने शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए धूप सेंकते हैं।
मगरमच्छों के जबड़े बेहद शक्तिशाली होते हैं, जो उन्हें अपने शिकार को कसकर पकड़ने में मदद करते हैं; इनकी काटने की क्षमता किसी भी अन्य जीव से अधिक होती है। उनकी त्वचा बहुत कठोर और बख्तरबंद जैसी होती है, जो उन्हें शिकारियों से बचाती है। घड़ियाल, जो मगरमच्छ की एक विशिष्ट प्रजाति है, उनकी लंबी, पतली थूथन (स्नआउट) होती है जो उन्हें मछली पकड़ने में विशेष रूप से सहायक होती है। इस तरह के संरक्षण प्रयास और जागरूकता कार्यक्रम मगरमच्छों की आबादी को बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवासों को बचाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। गंडक नदी में घड़ियालों की रिहाई उनके भविष्य के लिए आशा की किरण है।