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छत्तीसगढ़ के कांकेर गांवों ने जल-संरक्षण को अपनाया STC मॉडल।

यह पहल न केवल प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में मदद कर रही है.

बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा कर रही है, जिससे क्षेत्र में एक दोहरा लाभ मिल रहा है।

ग्रामीणों के लिए यह STC पद्धति दोहरा वरदान साबित हुई है। एक तरफ यह पानी के भूमिगत स्तर को ऊपर उठाने और मिट्टी के कटाव को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, वहीं दूसरी तरफ यह रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही है, जिससे क्षेत्र का पुनरुत्थान हो रहा है। इस पद्धति में छोटे-छोटे बांध, चेक डैम और कंटूर ट्रेंच बनाना शामिल है। जिससे उनकी आजीविका में सुधार हो रहा है।

इस पहल से कांकेर के कई गांवों में कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है, क्योंकि किसानों को अब सिंचाई के लिए अधिक पानी मिल रहा है। यह मॉडल अन्य क्षेत्रों के लिए भी एक उदाहरण पेश करता है कि कैसे स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास दोनों को एक साथ हासिल किया जा सकता है। यह दर्शाता है कि सामुदायिक भागीदारी और सही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्राकृतिक संसाधनों का टिकाऊ प्रबंधन संभव है।

 

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