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विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की पात्र.

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है.

जिसके अनुसार एक विवाहित बेटी भी अनुकंपा नियुक्ति की पात्र है। यह फैसला एक महिला द्वारा दायर याचिका पर दिया गया है, जिनके पिता की मृत्यु 11 साल पहले हो गई थी। इस फैसले से उन हजारों महिलाओं को राहत मिलने की उम्मीद है, जिन्हें केवल विवाहित होने के कारण सरकारी नौकरी से वंचित कर दिया गया था।

पहले, हाई कोर्ट की एक एकल पीठ ने कहा था कि पिता की मृत्यु को 11 साल बीत चुके हैं, इसलिए महिला के दावे पर अब विचार करना उचित नहीं है। लेकिन, अपील पर सुनवाई करते हुए, हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य परिवार को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करना है, और विवाह के कारण किसी बेटी को इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

इस फैसले ने एक बार फिर से महिलाओं के अधिकारों पर जोर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून में विवाह के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यह फैसला यह भी दर्शाता है कि न्यायपालिका समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है।


 

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