आरिज तो फांसी से बच गया, तो फिर कौन है बटला हाउस में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा का कातिल?
एक ऐसे फैसले ने देश का ध्यान खींचा है जिस पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हत्यारा है तो कौन? दिल्ली हाई कोर्ट ने 2008 के बटला हाउस एनकाउंटर केस में इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आतंकवादी आरिज खान की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। देश को दहलाकर रख देने वाले इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की जान चली गई थी। अब हाई कोर्ट ने कहा है कि किस आतंकवादी ने शर्मा पर गोली चलाई थी, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस कारण आरिज खान को फांसी की सजा को बरकरार नहीं रखा जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट के इस फैसले पर यह सवाल तो जरूर उठता है कि आखिर आरिज ने नहीं तो उसके किसी साथी इंस्पेक्टर शर्मा को मारा होगा, तो वो कौन है? दिल्ली हाई कोर्ट ने आरिज खान की सजा घटाते हुए यह जवाब नहीं दिया कि आखिर इंस्पेक्टर शर्मा की मौत के लिए कौन जिम्मेदार था?
आरिज ने नहीं मारी गोली तो कैसे शहीद हुए इंस्पेक्टर शर्मा?
19 सितंबर, 2008 को हुआ बटला हाउस मुठभेड़ भुलाये नहीं भुलाया जा सकता है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के एक सम्मानित अधिकारी इंस्पेक्टर शर्मा को इंडियन मुजाहिदीन (IM) के आतंकवादियों के बारे में खास जानकारी मिली, जो दिल्ली में हुए घातक विस्फोटों में शामिल थे। इनमें 39 लोगों की मौत हुई और 150 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए शर्मा और उनकी टीम तेजी से जामिया नगर के बटला हाउस पहुंची थी। उनके पहुंचने पर आतंकियों की तरफ से भीषण गोलीबारी शुरू हो गई। पुलिस की टीम ने भी जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाईं। इस एनकाउंटर में जहां इंस्पेक्टर शर्मा की जान चली गई, वहीं दो आतंकवादी मोहम्मद आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद भी मारे गए। माना जा रहा है कि इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा को आतंकवादी आरिज खान ने ही गोली मारी थी।
हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट ने अरिज खान की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। इसलिए सवाल उठता है कि इंस्पेक्टर शर्मा को किसने गोली मारी? जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने अरिज खान की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलते समय इस बात पर जोर दिया किया कि यह साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि इंस्पेक्टर शर्मा की मौत के लिए जिम्मेदार गोली किसी खास आरोपी ने चलाई थी। अदालत ने पुलिस अधिकारी की वीरता और बलिदान को स्वीकार करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि यह दुलर्भतम मामलों (रेयरेस्ट ऑफ रेयर केसेज) की श्रेणी में नहीं आता है।
अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और शस्त्र अधिनियम (आर्म्स एक्ट) की विभिन्न धाराओं के तहत खान की सजा को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने कहा प्रत्यक्षदर्शी की गवाही और उपलब्ध सबूतों से साफ है कि आरिज खान एनकाउंटर के वक्त बटला हाउस में न केवल मौजूद था बल्कि उसने पुलिस पर फायरिंग भी की थी। उसने पुलिस पर गोलियां चलाईं और मौके से फरार हो गया।



