नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के किसानों से पराली (Stubble) के उचित प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीक अपनाने का आग्रह किया है। सरकार का मानना है कि पराली जलाने से होने वाले गंभीर वायु प्रदूषण को रोकने के लिए मशीनीकरण ही एक प्रभावी समाधान है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को बताया है कि नई तकनीक केवल पर्यावरण की रक्षा ही नहीं करती, बल्कि किसानों को वित्तीय लाभ भी पहुंचाती है।
सरकार के अनुसार, आधुनिक मशीनों का उपयोग करने से किसानों की लागत में काफी कमी आई है। पहले खेत तैयार करने, सिंचाई और बुवाई में प्रति एकड़ लगभग ₹5,000 का खर्च आता था, लेकिन अब नई मशीनों की मदद से यह खर्च घटकर महज ₹1,500 रह गया है। इस तरह, आधुनिक उपकरण न केवल पराली को खेत की मिट्टी में मिलाने में मदद करते हैं, बल्कि किसानों का कीमती समय और पैसा भी बचाते हैं।
केंद्र सरकार राज्य सरकारों के सहयोग से किसानों को पराली प्रबंधन उपकरणों पर सब्सिडी भी दे रही है। अधिकारियों ने किसानों से इन सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने और पराली जलाने से बचने का आग्रह किया है। आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाने से न केवल फसल अवशेषों की समस्या हल होगी, बल्कि मिट्टी का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। सरकार का लक्ष्य है कि प्रदूषण मुक्त भारत के लिए किसानों को पर्यावरण हितैषी बनाया जाए।



