यह सख्त कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 311 का इस्तेमाल करते हुए की गई है, जो बिना किसी विस्तृत जांच के, सार्वजनिक सुरक्षा के हित में कर्मचारियों को बर्खास्त करने की अनुमति देता है। यह कदम दर्शाता है कि प्रशासन आतंकवाद और अलगाववाद से जुड़े किसी भी सरकारी कर्मचारी को बर्दाश्त न करने की अपनी नीति पर दृढ़ है।
बर्खास्त किए गए इन दोनों कर्मचारियों पर खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की गई है। उन पर आरोप है कि वे आतंकवादी संगठनों को रसद सहायता प्रदान कर रहे थे या उन्हें गुप्त जानकारी लीक कर रहे थे। पिछले पाँच वर्षों में, उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा अनुच्छेद 311 का उपयोग करते हुए सेवा से हटाए गए सरकारी कर्मचारियों की कुल संख्या लगभग 80 तक पहुँच गई है। यह व्यापक अभियान जम्मू-कश्मीर में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को ध्वस्त करने के प्रशासन के संकल्प को दर्शाता है।
प्रशासन का तर्क है कि ऐसे कर्मचारियों को सेवा में रखना राष्ट्रीय सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। इस तरह की बर्खास्तगी का उद्देश्य सरकारी तंत्र को साफ-सुथरा बनाना और यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग देश के प्रति वफादार रहें। हालांकि, बर्खास्तगी की इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और कानूनी चुनौती पर बहस भी होती रही है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूरी जाँच-पड़ताल और सार्वजनिक हित में अंतिम रूप से की गई है।



