अदालत ने कहा कि DACP योजना के लाभ केवल मुकदमा दायर करने वालों तक सीमित नहीं होंगे। जो अधिकारी इस योजना के तहत आते हैं, वे सभी स्वतः पात्र माने जाएंगे।
जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने कहा कि जब कोई कट-ऑफ डेट अदालत द्वारा रद्द कर दी जाती है, तो नीति पुनर्जीवित मानी जाती है। इसका लाभ समान रूप से सभी पर लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार फेंस सिटर्स का तर्क नहीं दे सकती, क्योंकि नीति के रद्द होने पर पुरानी नीति स्वतः प्रभावी हो जाती है।
राज्य सरकार ने पहले DACP की कट-ऑफ डेट 5 अप्रैल 2002 और 29 अक्टूबर 2008 से बदलकर 1 सितंबर 2008 कर दी थी। इसके कारण कई अधिकारियों के प्रमोशन और वेतन पर असर पड़ा। कोर्ट ने अब आठ सप्ताह में सभी को लाभ और बकाया भुगतान करने का आदेश दिया है।

