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झारखंड का ट्रांसमिशन नेटवर्क विस्तार ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर कदम.

दीर्घकालिक योजना के तहत बड़े पैमाने पर सब-स्टेशन निर्माण प्रस्तावित.

झारखंड सरकार ने राज्य की बिजली व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार की है। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ट्रांसमिशन नेटवर्क को इतना व्यापक बनाना है कि राज्य बाहरी एजेंसियों से निर्भर न रहे। फिलहाल बिजली आपूर्ति का बड़ा हिस्सा पीजीआइएल और डीवीसी के नेटवर्क से गुजरता है। इससे राज्य को हर साल भारी व्हीलिंग चार्ज चुकाना पड़ता है। सरकार द्वारा प्रस्तावित नई ट्रांसमिशन लाइन 4069 सर्किट किलोमीटर की होगी। यह नेटवर्क राज्य के हर हिस्से में सप्लाई क्षमता को बढ़ाएगा। ऊर्जा विभाग का कहना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिजली की विश्वसनीयता बढ़ेगी।

2034-35 तक राज्य की बिजली जरूरतों में भारी वृद्धि का अनुमान है। इसी को ध्यान में रखते हुए सब-स्टेशनों की क्षमता को बढ़ाकर 20,420 एमवीए किया जाएगा। सरकार इस प्रोजेक्ट पर 8205.24 करोड़ रुपये खर्च करेगी। यह राशि चरणबद्ध तरीके से उपयोग की जाएगी। ऊर्जा अधिकारियों का कहना है कि बेहतर सब-स्टेशन क्षमता से ट्रांसमिशन में रुकावटें कम होंगी। लोड के अनुसार बिजली वितरण में आसानी होगी। यह प्लान उद्योगों के लिए भी बड़ा समर्थन साबित होगा। ऊर्जा विभाग इसे मिशन मोड में पूरा करेगा। तकनीकी सुधारों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

राज्य में जिन 30 नए पावर सब-स्टेशनों का निर्माण होना है, उनमें कई रणनीतिक स्थान चुनें गए हैं। इनमें साहेबगंज, सिमडेगा, राजखरसांवा, चास, चित्रा और कुंडहित जैसे जिले शामिल हैं। इससे न केवल घरेलू उपभोक्ताओं को लाभ मिलेगा बल्कि व्यावसायिक क्षेत्रों में भी बिजली की गुणवत्ता सुधरेगी। धनबाद में दो महत्वपूर्ण स्टेशनों का निर्माण होने से कोयलांचल क्षेत्र काफी लाभान्वित होगा। यह नेटवर्क राज्य की समग्र ऊर्जा जरूरतों को मजबूत करेगा। बिजली कटौती की समस्या में भी कमी आएगी। यह योजना आर्थिक विकास को सीधे तौर पर बढ़ावा देगी। सरकार का लक्ष्य समय पर निर्माण पूरा करने का है। विभागीय टीमें नियमित समीक्षा कर रही हैं।

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