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गणेशोत्सव: भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक क्यों करते हैं अर्पित?


आज से गणेश उत्सव शुरू हो गया है। मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विघ्नहर्ता और मंगलमूर्ति भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी कारण से हर चतुर्थी का विशेष महत्व है। आज से घर-घर और पंडालों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित होती हैं और विधिपूर्वक पूजा होती है। गणेशोत्सव 10 दिनों तक चलता है।

भगवान गणपति को मोदक क्यों प्रिय है?

भगवान गणेश को मुख्य रूप से मोदक बहुत प्रिय हैं। आइए जानते हैं आखिरकार भगवान गणेश को मोदक क्यों प्रिय होते हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि अत्रि ने गणेशजी को भोजन पर आमंत्रित किया। अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूया ने गणेशजी के लिए भोजन परोसा, परंतु गणेशजी की भूख शांत नहीं हो रही थी। अनुसूया को चिंता होने लगी कि यदि गणेशजी तृप्त नहीं हुए तो क्या होगा। अतिथि को बिना तृप्त किए नहीं लौटा सकते।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने गणेशजी के सामने लड्डू परोसे। लड्डू देखकर गणेशजी आनंदित हो गए। तभी से गणेशजी को लड्डू बहुत प्रिय हैं।

भगवान गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय होती है। दूर्वा एक घास होती है जो हर जगह आसानी से मिल जाती है और इसे दूब भी कहा जाता है। भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करने के पीछे एक कथा है।

अनलासुर नामक राक्षस से सभी देवी-देवता परेशान हो गए थे। तब भगवान गणेश ने सभी देवी-देवताओं और मुनियों की रक्षा के लिए अनलासुर को निगल लिया था। राक्षस को निगलने के कारण उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। तब उनकी जलन को शांत करने के लिए मुनि कश्यप ने उन्हें दूर्वा की गांठें खाने के लिए दीं। दूर्वा खाते ही भगवान गणेश के पेट की जलन समाप्त हो गई। तभी से भगवान गणपति की पूजा में दूर्वा चढ़ाई जाती है।

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