भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में 15.3 प्रतिशत का इजाफा
भाजपा ने नारा दिया था। बेटी बचाओ। लेकिन अब यह नारा प्रासंगिक नहीं रहा। जिस तरह से भाजपा शासित राज्यों में बेटियों के खिलाफ अपराध में वृद्धि हुई है, उससे तो लगता है कि अब “बीजेपी से बेटी बचाओ” का नारा भाजपा पर सटीक बैठता है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम या फिर कोई अन्य भाजपा शासित राज्य। यहां बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। 2021 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में 15.3 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है, जो चौंकाने वाला है। भाजपा शासित राज्य महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में अग्रणी रहें हैं। महिलओं के खिलाफ भारत में कुल अपराध 1036 प्रतिदिन हैं। उत्तर प्रदेश में यह संख्या प्रतिदिन 163 है। बलात्कार की घटना पूरे देश में प्रतिदिन 91 होती है, उसमें से 15 घटना प्रतिदिन भाजपा शासित मध्य प्रदेश में घट रही है। महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक क्राइम रेट 168.3 असम में है। भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं।
झारखण्ड के संदर्भ में बात करें तो महिलाओं के खिलाफ क्राइम रेट 43.0 है। झारखण्ड की सुनीता खाखा पर भाजपा की बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ संयोजक और भाजपा नेत्री सीमा पात्रा द्वारा किये गये अत्याचार भाजपा और संघ की मानसिकता दर्शाती है। झारखण्ड के भाजपा विधायक और नेता महिला शोषण के आरोपी हैं। माननीय न्यायालय को पूर्व की सरकार को निर्देश देना पड़ा था कि इनके खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज किया जा रहा।
वहीं भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से बलात्कार की खबरें विचलित करने वाली है। ऐसे में कहा जा सकता है कि महिला विरोधी भाजपा की सरकार में महिलाएं असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ दर्ज इन शिकायतों में आधी से ज्यादा अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। आंकड़ों के मुताबिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश (10,084) से प्राप्त हुईं। वर्ष 2022 में जनवरी से लेकर अगस्त तक महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाली शिकायतों की संख्या 19,953 रही, जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 6,335 ज्यादा है। इस अवधि में वर्ष 2020 में महिलाओं के खिलाफ 13,618 शिकायतें दर्ज की गई थीं। राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ दर्ज इन शिकायतों में आधी से ज्यादा अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। आंकड़ों के मुताबिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश (10,084) से प्राप्त हुईं। देश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष महिलाओं के खिलाफ 46 फीसदी आपराधिक मामले बढ़ गए हैं।