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दाएं ममता और लेफ्ट में झुके राहुल, विपक्षी गठबंधन की इस तस्वीर में छिपी है पूरी कहानी

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के घटक दलों के शीर्ष नेताओं ने आज यहां बैठक की। इस दौरान अगले लोकसभा चुनाव के लिए कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें सीट शेयरिंग, साझा जनसभा और नए सिरे से स्‍ट्रैटेजी बनाना शामिल था। गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सीट शेयरिंग की गुत्‍थी को सुलझाना है। घूम-फिरकर यहीं पर पूरी गाड़ी अटक जाती है। उसकी वजह भी है। उनमें सबसे बड़ी है हितों का टकराव। गठबंधन में शाम‍िल कुछ दल एक-दूसरे के जानी-दुश्‍मन हैं। इन्‍होंने एक-दूसरे से लड़कर अपनी पिच तैयार की है। ऐसे में निकले दांतों को बैठाना आसान नहीं है। दूसरी तरफ कांग्रेस खुद को दोबारा खड़ा करने की फिराक में है। स्‍थानीय दल उसे खेलने के लिए ज्‍यादा मैदान देकर अपनी सालों की मेहनत पर पानी नहीं फेर सकते। इस द्वंद्व को मैनेज करते ही सारे रास्‍ते खुलने हैं। लेकिन, यही सबसे बड़ा पेच भी है।

मंगलवार को दिल्‍ली में विपक्षी गठबंधन की बैठक से कई दिलचस्‍प तस्‍वीरें सामने आईं। इनसे अलग-अलग दलों की केमिस्‍ट्री का कुछ अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसी ही एक दिलचस्‍प तस्‍वीर थी राहुल गांधी, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी का एक फ्रेम में होने की। बैठक में राहुल के दाएं हाथ पर ममता बैठी थीं। वहीं, बाएं हाथ पर सीताराम येचुरी। तस्‍वीर में राहुल लेफ्ट की ओर झुककर येचुरी से चुपचाप कुछ बोल रहे हैं। दोनों की इस गुपचुपबाजी से अलग ममता कुछ लिखने में बिजी हैं। क्‍या कोई बड़ी ‘स्‍क्रिप्‍ट’? कोई नहीं जानता है। जो हम सब जानते हैं वह यह है कि ममता वही हैं जिन्‍होंने बंगाल को वाम दलों की गिरफ्त से निकालने के लिए सालों लंबी लड़ाई लड़ी। टीएमसी और लेफ्ट एक-दूसरे के जानी-दुश्‍मन हैं। दोनों एक-दूसरे को मिट्टी में मिला देने की चाहत रखते हैं।

दो व‍िरोधियों में कांग्रेस की एंट्री!
I.N.D.I.A गठबंधन की नींव पड़ने वाले दिन से ही इसके भविष्‍य पर सवाल रहे हैं। उसकी सबसे बड़ी वजह यही है। इस गठबंधन में कई ‘जानी-दुश्‍मन’ साथ बैठे हैं। वाम दल और तृणमूल कांग्रेस भी उन्‍हीं में हैं। इन दो दुश्‍मनों को कांग्रेस अपने हिसाब से साधती रही है। इस समय कांग्रेस का पलड़ा लेफ्ट की तरफ झुका दिख रहा है। इसकी वजह ममता बनर्जी के तेवर हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज करने के बाद से ही ममता बनर्जी कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमलावर हो गई थीं। यहां तक उन्‍होंने राहुल की नेतृत्‍व क्षमता पर भी सवाल उठाए थे। यह सही है कि हिमाचल और कर्नाटक की जीत के बाद राहुल को लेकर ममता के तेवर हल्‍के नरम पड़े थे। लेकिन, दोबारा अब वही रुख दिखने लगा है।

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