बबुआ हमार अधिराज होईहें…राजा-धिराज होईहें हो…! लालू यादव के दिल में क्या चल रहा?
पटना: सोशल मीडिया पर आजकल एक गाने की रील खूब वायरल है। जो थोड़ी-बहुत भी भोजपुरी की समझ रखते हैं, इसे पढ़कर फील ले सकते हैं। ‘हमरा बुझाता बबुआ जीएम होईहें… ना रे दीदिया डीएम होईहें रे… रे दीदिया हिंद के सितारा ई त सीएम होईहें… ओसे ऊपर मोदी जस पीएम होईहें हो…।’ गाने का जो हिस्सा वायरल है, वो इतना ही है। मगर ये गीत इससे आगे भी हैं। इसी में आगे हैं कि ‘बबुआ हमार अधिराज होईहें… राजा-धिराज होईहें हो… सिरवा के मुकुट-मणिराज होईहें हो… घरवा के नाज होईहें हो…।’ वैसे ये बहुत पुराना सोहर गीत है। आमतौर पर परिवार में जब किसी संतान का आगमन होता है तो खुशी में घर की महिलाएं इसे ग्रुप में गाती हैं। मगर शब्दों की हेरफेर से इसे सियासी रंग में रंग दिया गया। खास बात ये की लोगों को खूब पसंद भी आ रहा है। जाहिर-सी बात ये आरजेडी सुप्रीमो के दिल को भी सुकून दे रहा होगा।
हेल्थ ने मूड ऑफ कर रखा है!
लालू यादव जब-जब पटना आते हैं, आरजेडी के पुराने कार्यकर्ताओं की आंखें चमक उठती है। उनके शरीर में अजीब-सी कसमसाहट होने लगती है। जब से तेजस्वी यादव को लालू यादव ने राजपाट दे दिया तब से उम्मीदें और बढ़ गई है। अब तो कई स्तर पर नीतीश कुमार ने भी छूट दे दी है। मगर वो ‘आजादी’ नहीं मिल रही। अब भी कुछ न कुछ बंदिशें जरूर हैं। आरजेडी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को तो सबकुछ खुल्लम-खुला चाहिए। लालू यादव को भी ‘कंजूसी’ की आदत नहीं रही है। मगर ये तबीयत, जो न कराए। वरना अब तक तो ‘बबुआ हमार’ रील्स को सच साबित कर दिए रहते। वैसे, लालू यादव को किसी बात की परेशानी नहीं है। सहमति से ही नीतीश कुमार की सरकार चल रही है। मगर पावर से ज्यादा ‘कुर्सी’ में दिल अटक गया है। हेल्थ ने मूड ऑफ कर रखा है।




