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अविश्वास प्रस्ताव से कभी गिरी नहीं सरकार, चर्चा से पहले लोकसभा का नंबर गेम समझिए

लोकसभा में 27 बार अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाए गए हैं। यह और बात है कि इनमें से कोई सफल नहीं हुआ। ये या तो गिर गए या फिर इनका कोई मतलब नहीं रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस तरह के दूसरे अविश्‍वास प्रस्‍ताव का सामना करेंगे। जुलाई 2018 में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाई थी। लेकिन, यह 130-330 से पराजित रहा था। 1979 में मोरारजी सरकार के खिलाफ लाए गए प्रस्‍ताव के बाद तत्‍कालीन प्रधानमंत्री को इस्‍तीफा देना पड़ा था। लेकिन, तब बहस अनिर्णायक रही थी। कोई वोटिंग नहीं हुई थी।

एक थिंक टैंक की ओर से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अतीत में लोकसभा में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। उनमें से सभी या तो पराजित हुए या अनिर्णायक रहे हैं। हालांकि, ‘विश्वास प्रस्ताव’ पर मतदान के दौरान कम से कम तीन बार सरकारें गिरी हैं। यह सरकार की ओर से अपनी ताकत साबित करने के लिए लाया गया प्रस्ताव होता है।विपक्ष लाता है अविश्‍वास प्रस्‍ताव
अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 198 के तहत लोकसभा में सरकार के खिलाफ विपक्ष पेश करता है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की ओर से संकलित आंकड़ों के अनुसार, स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे अधिक 15 अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकारों के खिलाफ लाए गए थे। 1979 में मोरारजी देसाई सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि, बहस अनिर्णायक रही और कोई मतदान नहीं हुआ।

व‍िश्‍वास मत के दौरान ग‍िरी सरकारें
विश्वास मत के दौरान तीन सरकारें गिरीं। इनमें 1990 में वीपी सिंह सरकार, 1997 में एचडी देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार शा‍म‍िल हैं। 7 नवंबर 1990 को वीपी सिंह ने मंत्रिपरिषद में विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। राम मंदिर मुद्दे पर भाजपा की ओर से अपना समर्थन वापस लेने के बाद प्रस्ताव गिर गया। प्रस्ताव 142 मतों के मुकाबले 346 मतों से गिर गया था।

इसी तरह 1997 में एचडी देवेगौड़ा सरकार 11 अप्रैल को विश्वास मत हार गई थी। देवेगौड़ा की 10 महीने पुरानी गठबंधन सरकार गिर गई क्योंकि 292 सांसदों ने सरकार के खिलाफ मतदान किया, जबकि 158 सांसदों ने समर्थन किया।

1998 में सत्ता में आने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। 17 अप्रैल, 1999 को एआईएडीएमके के हाथ खींच लेने के कारण एक वोट से प्रस्‍ताव गिर गया था।

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