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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेरठ के डीएम को फटकारा, एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में देरी पर लगाई फटकार.

कोर्ट ने डीएम की "दया की कमी" पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने डीएम को एक हफ्ते में केंद्र सरकार को जरूरी कागज भेजने का आदेश दिया है।

मेरठ की रजनीता ने अदालत में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत एसिड अटैक पीड़ितों को देय 1 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा मांगा था। रजनीता पर 2013 में तेजाब से हमला किया गया था, जिसमें उनकी आंखें, सीना, गला और चेहरा बुरी तरह झुलस गया था।

अदालत ने कहा कि अधिकारियों का प्राथमिक दायित्व है कि वे लोगों को सेवा प्रदान करें। डीएम ने भारत सरकार के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पीड़िता को एक लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान नहीं किया। अदालत ने डीएम को एक सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को आवश्यक दस्तावेज भेजने का निर्देश दिया, ताकि मुआवजा जल्द से जल्द जारी किया जा सके।

यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?

यह खबर एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाती है। यह दिखाती है कि अदालतें पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तैयार हैं। यह खबर सरकारी अधिकारियों को भी यह संदेश देती है कि उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करना चाहिए।

मुख्य बातें:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेरठ के डीएम को एसिड अटैक पीड़िता को मुआवजा देने में देरी के लिए फटकार लगाई।
कोर्ट ने डीएम की “दया की कमी” पर सख्त नाराजगी जताई।
कोर्ट ने डीएम को एक हफ्ते में केंद्र सरकार को जरूरी कागज भेजने का आदेश दिया।
रजनीता पर 2013 में तेजाब से हमला किया गया था।
रजनीता ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष के तहत 1 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा मांगा था।
यह खबर हमें क्या बताती है?

यह खबर हमें बताती है कि एसिड अटैक पीड़ितों को न्याय पाने का अधिकार है। यह खबर हमें यह भी बताती है कि सरकारी अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करना चाहिए।

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