रांची : राज्य में क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन के लिए किए जा रहे नवाचारों और प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। इन पहलों के परिणामस्वरूप झारखंड कई मानकों में राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
जांच और उपचार में वृद्धि
पिछले तीन वर्षों में संभावित टीबी रोगियों की जांच में लगभग 97% की वृद्धि हुई है। राज्य यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. कमलेश कुमार के अनुसार, इंडिया टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 1 लाख की आबादी पर 172 टीबी रोगी हैं, जबकि झारखंड में यह संख्या 140 है। उपचार की सफलता दर राज्य में 88% है, जो राष्ट्रीय औसत 85% से अधिक है, और मृत्यु दर 3.1% है, जो राष्ट्रीय औसत 4.5% से कम है।
100-दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान
टीबी रोगियों की शीघ्र पहचान और उपचार के लिए दिसंबर 2024 में झारखंड के चार जिलों—गुमला, सिमडेगा, रामगढ़ और हजारीबाग—में 100-दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान शुरू किया गया। इसका उद्देश्य उच्च जोखिम वाले समूहों में टीबी के मामलों का पता लगाना और उपचार करना था।
नवाचारों की भूमिका
टीबी उन्मूलन में नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित एक्स-रे और न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट (NAAT) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करके संदिग्ध मामलों की त्वरित पहचान और पुष्टि की गई। इन प्रयासों ने संक्रमण की रोकथाम और जीवन बचाने में मदद की।
सामुदायिक सहभागिता
टीबी उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता भी महत्वपूर्ण रही है। राज्य में 38 पंचायतों को पूरी तरह से टीबी मुक्त घोषित किया गया है, जो सामूहिक प्रयासों का परिणाम है।
निष्कर्ष
झारखंड में टीबी उन्मूलन के लिए किए जा रहे नवाचारों और सामुदायिक प्रयासों से सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। राज्य की सफलता अन्य क्षेत्रों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है, जिससे देशभर में टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।



