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IIM एक्ट लोकसभा से पास, 5 प्वाइंट में जानिए बड़ी बातें

भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा से पास हो गया है। इससे इन संस्थानों में बहुत कुछ बदलाव होगा। अब भारत के राष्ट्रपति को प्रमुख बिजनेस स्कूलों का ‘विजिटर’ बनाया जा सकेगा। हालांकि, इस बिल पर विपक्ष ने चिंता जताई है। विपक्ष का आरोप है कि इस कदम से इन संस्थानों की स्वायत्तता सीमित हो जाएगी। ऐसे में आइए 5 प्वाइंट में जानते हैं कि इससे क्या कुछ बदलेगा?

1- इस विधेयक को 28 जुलाई के पेश किया गया था। प्रावधानों पर एक संक्षिप्त बहस के बाद इसे शुक्रवार को पारित कर दिया गया। बिल को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेश किया। जिसके बाद इसे संसद के निचले सदन द्वारा पारित कर दिया गया। विधेयक पहली बार 28 जुलाई को जब लोकसभा में पेश किया गया था, तब मणिपुर की स्थिति पर सदन में व्यवधान के कारण इस पर चर्चा नहीं हो सकी थी।

2- विपक्ष के आरोप पर प्रधान ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार का “आइआईएम की स्वामिता पर सवाल” करने का इरादा नहीं है। “आइआईएम को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है।” भारत के राष्ट्रपति आईआईटी, एनआईटी सहित अन्य सभी शीर्ष संस्थानों के विजिटर हैं। ऐसे में आज तक इन पर सवाल नहीं उठा है। आईआईएम के मामले में भी यही होगा। सरकार की तरफ से आईआईएम के अकादमिक माहौल में कोई दखल नहीं दिया जाएगा।

3- मामले में जवाब देते हुए प्रधान ने कहा कि 2017 में आईआईएम अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार ने संस्थानों को विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए डिग्री देने का अधिकार दिया था। क्योंकि तब तक ये संस्थान केवल डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम ही प्रदान कर सकते थे। “हालांकि, पिछले चार वर्षों में स्थानीय प्रबंधन बोर्ड ने पाया कि आईआईएम ने शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान पिछड़ी श्रेणियों के लिए आरक्षण प्रदान करने जैसे कई संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं किया है।

4- नए विधेयक के अनुसार राष्ट्रपति को आईआईएम का ‘विजिटर’ बनाया जाएगा। जबकि उनके पास उनके कामकाज का ऑडिट करने, पूछताछ का आदेश देने के साथ-साथ निदेशक के साथ-साथ इसके बोर्ड के अध्यक्षों को नियुक्त करने या हटाने की शक्तियां भी हैं।

5- प्रधान ने कहा कि मौजूदा अधिनियम ने बिजनेस स्कूलों को अपने बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा चलाने के लिए अधिक स्वायत्तता प्रदान की है। प्रत्येक संस्थान में 19 सदस्य होंगे। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों से केवल एक-एक प्रतिनिधि शामिल होगा। बोर्ड अपने स्वयं के अध्यक्ष को नामित करेगा। साथ ही संस्थान के निदेशक को नियुक्त करने की शक्ति भी रखेगा।

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