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ओमर अब्दुल्ला बने जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री, चुनौतियों का होगा सामना.

श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, जो अब एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) है।

2019 में धारा 370 हटाए जाने और राज्य को दो हिस्सों में विभाजित किए जाने के बाद यह उमर के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। हालांकि, इस बार उमर अब्दुल्ला को अपने पिछले कार्यकाल की तरह मुख्यमंत्री की पूरी शक्तियां नहीं मिलेंगी। पुलिस और सुरक्षा से संबंधित मुद्दे अब उनके नियंत्रण में नहीं होंगे।

उमर अब्दुल्ला की यह दूसरी पारी होगी, लेकिन उन्हें सीमित शक्तियों के साथ काम करना होगा। जम्मू-कश्मीर में अब अधिकतर प्रशासनिक और कानूनी निर्णय उपराज्यपाल के हाथों में हैं। इसके बावजूद उमर अब्दुल्ला ने अपनी चुनावी रैलियों में जनता को इन सीमाओं के बारे में स्पष्ट रूप से बताया और वादा किया कि उनकी सरकार विधानसभा को फिर से सशक्त बनाएगी।

नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में 42 सीटें जीतीं, जिससे उमर अब्दुल्ला को मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 29 सीटें जीतीं, लेकिन कश्मीर घाटी में उनका खाता नहीं खुला। उमर अब्दुल्ला ने चुनाव अभियान के दौरान ‘गरिमा, पहचान और विकास’ का वादा किया, जिसमें राज्य का दर्जा बहाल करना उनकी प्रमुख मांग थी।

उमर अब्दुल्ला के इस यथार्थवादी दृष्टिकोण ने जनता का विश्वास जीता, और अब वह सरकार का नेतृत्व करेंगे। उनके समर्थकों का मानना है कि वह अब पहले से अधिक परिपक्व और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।

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