नई जंग की आहट! नाइजर में ऐसा क्या है कि जिसे पाने के लिए भिड़ गए अमेरिका और रूस
सैन्य तख्तापलट के बाद से नाइजर वैश्विक महाशत्तियों के बीच जंग का मैदान बना हुआ है। इस देश पर कब्जे के लिए रूस और अमेरिका ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। मामला इतना गंभीर है कि नाइजर पर अमेरिका समर्थक पड़ोसी देशों का गठबंधन कभी भी हमला कर सकता है। हालांकि, रूस ने नाइजर के खिलाफ किसी भी सैन्य कार्रवाई के खिलाफ गंभीर अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दे दी है। अफ्रीका के ही बुर्किना फासो और माली जैसे देश खुलकर रूस के समर्थन में नाइजर की मदद कर रहे हैं। ऐसे में नाइजर के खिलाफ जारी युद्ध के पूरे अफ्रीका में फैलने की आशंका है। अब सवाल उठ रहा है कि वर्षों से उपेक्षा का शिकार नाइजर में ऐसा क्या है, जिसे पाने के लिए अमेरिका और रूस मरने-मारने को उतारू हैं।
नाइजर में तख्तापलट का जश्न मना रहे लोग
नाइजर में 26 मई को सैन्य तख्तापलट हुआ था। इसमें राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दौराहामाने त्चियानी ने नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बज़ौम को अपदस्थ कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद से ही नाइजर के आम लोग रूस और चीन के झंडों के साथ जश्न मना रहे हैं। इस दौरान पूरे नाइजर में बड़ी संख्या में अमेरिका और फ्रांस विरोधी प्रदर्शन भी हुए हैं। नाइजर के लोग इसे दूसरी आजादी बता रहे हैं। उनका दावा है कि नाइजर पश्चिम की दासता से वास्तविक तौर पर अब आजाद हुआ है।
नाइजर के खिलाफ युद्ध की तैयारी में अमेरिकी दोस्त
अफ्रीका में अमेरिका के दोस्त माने जाने वाले पश्चिमी अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (ECOWAS) ने नाइजर के खिलाफ सैन्य शक्ति के इस्तेमाल की धमकी दी गै। इकोवास के सदस्य देशों में बेनिन, बुर्किना फासो, काबो वर्डे, कोटे डी आइवर, गाम्बिया, घाना, गिनी, गिनी बिसाऊ, लाइबेरिया, माली, नाइजर, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, सेनेगल और टोगो शामिल हैं। इकोवास की वर्तमान में अध्यक्षता नाइजीरिया के पास है। इस बीच नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मद बजौम ने अपने देश की संसद से नाइजर के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर सहमति मांगी है। दूसरी और अफ्रीकी संघ भी अमेरिका के साथ कदम में कदम मिलाते हुए नाइजर के खिलाफ आग बबूला है।
नाइजर के प्राकृतिक संसाधन पर कब्जे की होड़
नाइजर चारों ओर से जमीन से घिरा हुआ देश है। यह पश्चिम अफ्रीका में अल्जीरिया के दक्षिण पूर्व में स्थित है। इस देश का कुल क्षेत्रफल 1,267,000 वर्ग किलोमीटर है। नाइजर 1960 में एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। यह देश जातीय अशांति, गंभीर सूखे की स्थिति और राजनीतिक अस्थिरता से ग्रस्त है और इसे दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक माना जाता है। बढ़ती जनसंख्या भी इस देश की मुसीबतें बढ़ा रही है। नाइजर की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद का 40% हिस्सा है। नाइजर की लगभग 80 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद नाइजर प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है। नाइजर पर कब्जे के लिए मची खींचतान के पीछे इसी को जिम्मेदार माना जा रहा है।
नाइजर के खजाने में क्या-क्या मौजूद है
नाइजर के प्राकृतिक संसाधनों में यूरेनियम, कोयला, सोना, लौह अयस्क, टिन, फॉस्फेट, पेट्रोलियम, मोलिब्डेनम, नमक और जिप्सम शामिल हैं। नाइजर के पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार है। नाइजर के पास तेल का भी अच्छा भण्डार है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नाइजर स्थित रहा तो आने वाले दशक में इसके पास अफ्रीका का सबसे ताकतवर देश बनने के सभी गुण मौजूद हैं। 2010 में, नाइजर दुनिया में यूरेनियम का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक था और दुनिया के कुल उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7.8% था। हालाँकि, यूरेनियम की कीमत में लगातार उतार-चढ़ाव नाइजर की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का कारण बनता है। खनन क्षेत्र कोयला, सोना, चांदी, चूना पत्थर, सीमेंट, जिप्सम, नमक और टिन जैसी अन्य खनिज वस्तुओं के उत्पादन में भी शामिल था।




