सीबीआई की टीम ने दुर्घटनास्थल का विस्तृत और तकनीकी विश्लेषण करने के लिए 3D कैमरे और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया। यह कदम इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की सटीक जाँच के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
जाँच के दौरान, सीबीआई टीमों ने उस 700 मीटर लंबी सड़क की पैमाइश की जहाँ यह भगदड़ हुई थी। इस तकनीकी मैपिंग का उद्देश्य घटना के समय भीड़ की सघनता, दबाव बिंदु और भगदड़ के क्रम को सटीक रूप से निर्धारित करना है। इस हाई-टेक जाँच के कारण वेलुचामिपुरम में दो दिनों के लिए यातायात को डायवर्ट करना पड़ा, जिससे स्थानीय व्यापारियों को असुविधा हुई और उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किया। व्यापारियों का कहना था कि इससे उनका दैनिक व्यापार प्रभावित हो रहा है।
विरोध के बावजूद, सीबीआई ने सुरक्षा और कानूनी प्रक्रिया को प्राथमिकता देते हुए अपना काम जारी रखा। जाँच एजेंसी 3D मैपिंग डेटा का उपयोग करके एक वर्चुअल पुनर्निर्माण (Virtual Reconstruction) तैयार करेगी, जिससे दुर्घटना के वास्तविक कारणों और प्रशासनिक लापरवाही के पहलुओं को समझा जा सकेगा। यह तकनीकी साक्ष्य अदालत में मामले की मजबूती के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। सीबीआई इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रही है।



