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अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस: आधुनिक गुलामी के खिलाफ वैश्विक अभियान

मानव तस्करी, जबरन श्रम और बाल श्रम जैसे आधुनिक गुलामी के रूपों को समाप्त करने का संकल्प

अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस: आधुनिक गुलामी के खिलाफ जागरूकता और संघर्ष

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस हर साल 2 दिसंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य आधुनिक गुलामी के सभी रूपों को खत्म करना, मानव तस्करी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और पीड़ितों के अधिकारों व गरिमा को बढ़ावा देना है।

इतिहास और महत्व:
यह दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 दिसंबर 1949 को “ट्रैफिक इन पर्सन्स एंड एक्सप्लॉइटेशन ऑफ प्रॉस्टिट्यूशन ऑफ अदर्स” के उन्मूलन से संबंधित प्रस्ताव 317 (IV) को अपनाने की वर्षगांठ का प्रतीक है।

गुलामी के रूप:

पारंपरिक गुलामी: सामाजिक भेदभाव और पारंपरिक प्रथाओं के कारण।
आधुनिक गुलामी: बंधुआ मजदूरी, मानव तस्करी, बाल श्रम, जबरन विवाह और यौन गुलामी।
ILO रिपोर्ट: 2021 में दुनियाभर में 27.6 मिलियन लोग जबरन श्रम में फंसे थे।
भारत में स्थिति: भारत में 11 मिलियन लोग आधुनिक गुलामी का शिकार हैं, जो किसी भी देश में सबसे अधिक है।
समस्या की गहराई:
भारत में ईंट भट्टों, कृषि और घरेलू कामों में जबरन श्रम सबसे आम है। 2023 ग्लोबल स्लavery इंडेक्स के अनुसार, भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में छठे स्थान पर है।

UN और ILO का योगदान:

ILO: निजी क्षेत्र में 86% गुलामी के मामले सामने आए हैं।
UN: मानव तस्करी के शिकार लोग विभिन्न रूपों में गुलामी का सामना करते हैं।
संभावित समाधान:

सख्त कानून और उनकी प्रभावी कार्यान्वयन।
पीड़ितों को सहायता और पुनर्वास।
जागरूकता अभियान।

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