तेजस्वी की ताकत को कम कर आंकना होगी भूल, नीतीश से हार कर भी ‘बड़े खिलाड़ी’ बन गए लालू के लाल!
बिहार में पखवाड़े भर से चल रहा ‘खेल’ का हौवा आखिरकार खत्म हो गया। नीतीश कुमार ने सरकार बनाते वक्त 128 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपा था, पर विश्वासमत के दौरान उनके पक्ष में 129 वोट पड़े। आश्चर्य की बत यह कि न सिर्फ नीतीश सरकार ने विश्वासमत जीत लिया, बल्कि अवध बिहारी चौधरी को औंधे मुंह गिरा भी दिया। आरजेडी के उकसावे में आकर अवध बिहारी चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के बावजूद स्पीकर पद से इस्तीफा न देने की जिद ठान ली थी। सीएम की कुर्सी पर काबिज होने की हड़बड़ी में तेजस्वी यादव ने खेल करने की कम कोशिश नहीं की। अपने विधायकों को नजरबंद किया। कांग्रेस के विधायकों को हैदराबाद में छिपाया गया। दूसरी ओर भाजपा और जेडीयू ने इस तरह के आचरण से परहेज किया। अलबत्ता उन्हें एक जगह ठहराया जरूर गया।
तेजस्वी अब 2025 तक इंतजार करें
बहरहाल, अब तो इतना तय है कि कम से कम वर्ष 2025 तक तेजस्वी यादव को सीएम का सपना देखने पर काबू रखना होगा। लालू यादव को भी किसी हड़बड़ी के बजाय स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। सिर्फ जोड़-तोड़ से ही सरकार नहीं बनती या ‘खेल’ का हौवा खड़ा करने से सत्ता पक्ष के विधायक भागे-भागे नहीं आते। नीतीश कुमार को उनके तीन विधायकों ने धोखा दिया तो चार अतिरिक्त विधायक उनके समर्थन में भी खड़े हो गए। जाहिर है कि नीतीश को मिला एक अधिक वोट और खुल्लमखुल्ला तीन वोट महागठबंधन के ही किसी विधायक के होंगे। यह भी हो सकता है कि एआईएमआईएम के एकमात्र विधायक ने भी नीतीश के पक्ष में वोट किया हो। अवध बिहारी चौधरी ने तो अपनी भद ही पिटवा ली। उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि पिछली बार विजय कुमार सिन्हा ने ऐसी स्थिति आने पर मत विभाजन से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। वे मत विभाजन का इंतजार करते रहे। उनके खिलाफ 125 वोट पड़े।



