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देश पर न्यौछावर जांबाज की मां के आंसुओं की कीमत मत लगाइए नेताजी, आपकी हरकत से भारत मां शर्मिंदा है!

कहते हैं सियासत में संवेदना होनी चाहिए। संवेदनशीलता होनी चाहिए। लेकिन यहां तो संवेदनशीलता में सियासत है। संवेदना में भी सियासत है। संवेदना सियासी हो तब भी कोई बात नहीं लेकिन जब सियासी संवेदना बेशर्म हो जाए, आंखों का पानी मर जाए तो घिनौनी हो जाती है। शुक्रवार को सियासत की ऐसी ही बेशर्म और घिनौनी तस्वीर दिखी आगरा में। एक मां का लाल देश की रक्षा में अपनी जान न्यौछावर कर दिया और बेशर्म सियासत उस मां के आंसुओं की कीमत लगाने लगी। संवेदनहीनता के गर्त में गिरे मंत्री और विधायक ने अमर बलिदानी की मां के दर्द को नुमाइश और आत्मप्रचार का जरिया बना डाला। ऐसा कृत्य जिससे भारत मां भी शर्मिंदा होंगी कि कैसे आत्मप्रवंचित, संवेदनहीन बौने रहनुमा बने बैठे हैं।

शुक्रवार का दिन। आगरा में कैप्टन शुभम गुप्ता का घर। कैप्टन उन 5 जाबांजों में से एक थे जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए जान न्यौछावर कर दिया। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शूरवीर के पार्थिव शरीर का इंतजार हो रहा है। मां बदवहास हैं। उनके चिराग ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहूति दी है। धन्य है वो कोख जिसने कैप्टन शुभम गुप्ता जैसे जांबाज को जन्म दिया। लेकिन मां की ममता अपने आंखों की नूर के जाने से छटपटा रही है। महज 27 साल की उम्र में एक बेटा देश के लिए बलिदान हो गया। पथराई आंखें अपने लाल के पार्थिव देह की राह देख रही हैं। लेकिन संवेदनहीनता के पाताल लोक में गोता लगाती सियासत इस मां के दर्द और आंसुओं तक की भी कीमत लगाने पहुंच जाती है। यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय और स्थानीय विधायक जी. एस. धर्मेश इस मौके तक को भी आत्मप्रचार और पीआर का जरिया बनाने से नहीं चूके। ये यूपी सरकार की तरफ से जांबाज कैप्टन शुभम गुप्ता के परिवार को 50 लाख रुपये का चेक देने के लिए दल-बल के साथ पहुंचे थे। रोती-बिलखती मां को मीडिया के सामने चेक थमाने की कोशिश करते हैं। मां रोते हुए कहती है- मेरी ये प्रदर्शनी मत लगाओ भाई, मेरी ये प्रदर्शनी मत लगाओ। मगर इन मोटी चमड़ी वाले संवेदनहीन नेताओं पर उस मां की अपील तक का कोई असर नहीं पड़ता। उन्हें चेक पकड़ने के लिए कहा जाता है।

सियासत की इस बेशर्म तस्वीर को पूरा देश देख रहा है। वीडियो क्लिप वायरल है। लोगों में नाराजगी है। आम लोगों से लेकर पूर्व सैनिक तक इस हरकत से मर्माहत हैं। भारत मां भी शर्मिंदा हैं। अगर सांत्वना देने पहुंचे थे, संवेदना जताने पहुंचे थे तो तमाशा क्यों बनाया? चेक देने की इतनी भी जल्दी क्या थी? बाद में भी तो दे सकते थे। आखिर मीडिया के कैमरों के सामने एक मां के आंसुओं की कीमत लगाते, तमाशा बनाते शर्म क्यों नहीं आई? क्या ये फोटो खिंचवाने का मौका था? आत्मप्रचार और पीआर की ये कैसी भूख है? क्या मौके की नजाकत तक समझ में नहीं आई? सोशल मीडिया पर लोग मंत्री और विधायक की इस करतूत पर लानत-मलानत कर रहे हैं। कुछ तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मंत्री को बर्खास्त करने तक की मांग कर रहे हैं। काश! नेताजी को अपनी खोटी संवेदनाओं की भौंडी सियासत पर लज्जा आती। लानत है ऐसी निर्लज्ज सियासत पर जहां संवेदनाओं का कोई मोल नहीं, जहां किसी की सिसकियां और आंसू भी महज आत्मप्रचार का जरिया हैं।

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