अखिलेश यादव की रणनीति और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर, विधानसभा चुनाव वाले राज्यों के समीकरण कर रहे इशारा
देश के पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनावी तारीखों का ऐलान होने जा रहा है। इसको लेकर तमाम राजनीतिक दलों की नजर चुनाव आयोग की घोषणा पर टिकी हुई है। माना जा रहा है कि त्योहारों के बीच होने जा रहे विधानसभा चुनाव में चुनावी भिड़ंत भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच होनी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस का आमने-सामने का मुकाबला होना तय है। वहीं, तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति और भाजपा आमने-सामने दिख रही है। कांग्रेस भी यहां पर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। मिजोरम में एनडीए का मुकाबला कांग्रेस से होना तय है। इन तमाम राज्यों में उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को लेकर कई बड़े दावे किए हैं। उन्होंने कहा है कि विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के तहत कांग्रेस से यहां टिकट मांगा जाएगा। कांग्रेस ने अभी तक इन राज्यों में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के तहत चुनाव लड़ने को लेकर कोई घोषणा नहीं की है। कांग्रेस इन राज्यों में गठबंधन के तहत चुनावी मैदान में उतरेगी या फिर अकेले वह हाथ आजमाएगी, यह देखने वाली बात होगी। वहीं, अखिलेश यादव के दावों पर भी चर्चा शुरू हो गई है।
मध्य प्रदेश में ही कुछ जनाधार
चुनावी राज्यों में समाजवादी पार्टी के जनाधार की बात की जाए तो केवल मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां पार्टी का संगठन कुछ हद तक मजबूत दिखता है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2003 में समाजवादी पार्टी ने 7 सीटों पर कब्जा जमाया था। इसके बाद से पार्टी को कभी यहां पर इस स्तर की सफलता नहीं मिल पाई है। मध्य प्रदेश चुनाव 2023 में समाजवादी पार्टी ने 22 से 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश में पार्टी के चुनावी अभियान का आगाज भी किया। उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों और यादव-मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाले इलाकों में पार्टी की कोशिश अपने उम्मीदवार खड़ा करने की है। लेकिन, कांग्रेस की ओर से अभी तक समाजवादी पार्टी को कोई तवज्जो मिलती नहीं दिख रही है। स्थानीय नेता और चुनावों पर नजर रखने वाले विश्लेषक इसका कारण विधानसभा चुनाव 2018 में सपा का प्रदर्शन को मान रहे हैं।
मध्य प्रदेश में ही कुछ जनाधार
चुनावी राज्यों में समाजवादी पार्टी के जनाधार की बात की जाए तो केवल मध्य प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां पार्टी का संगठन कुछ हद तक मजबूत दिखता है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2003 में समाजवादी पार्टी ने 7 सीटों पर कब्जा जमाया था। इसके बाद से पार्टी को कभी यहां पर इस स्तर की सफलता नहीं मिल पाई है। मध्य प्रदेश चुनाव 2023 में समाजवादी पार्टी ने 22 से 23 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पिछले दिनों मध्य प्रदेश में पार्टी के चुनावी अभियान का आगाज भी किया। उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों और यादव-मुस्लिम मतदाताओं की बहुलता वाले इलाकों में पार्टी की कोशिश अपने उम्मीदवार खड़ा करने की है। लेकिन, कांग्रेस की ओर से अभी तक समाजवादी पार्टी को कोई तवज्जो मिलती नहीं दिख रही है। स्थानीय नेता और चुनावों पर नजर रखने वाले विश्लेषक इसका कारण विधानसभा चुनाव 2018 में सपा का प्रदर्शन को मान रहे हैं।
52 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार
मध्य प्रदेश चुनाव 2018 में समाजवादी पार्टी ने 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी को केवल एक सीट बिजावर पर जीत मिल पाई थी। 45 सीटों पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को कुल मतदान में से 4 लाख 96 हजार 25 वोट ही मिले थे, यानी कुल मतदान का सिर्फ 1.30 फीसदी हिस्सा ही पार्टी हिस्से में आया था। पार्टी इस चुनाव में नोटा से भी कम वोट मिले थे। हालांकि, पार्टी का प्रदर्शन आम आदमी पार्टी, बीएलएसपी और जेडीएस जैसी पार्टियों से बेहतर था। मध्य प्रदेश के सामाजिक समीकरण पर गौर करें तो यहां के 25 से 30 सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। 50 सीटों पर ये ठीक-ठाक संख्या में हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश के यादव मतदाताओं में समाजवादी पार्टी के प्रति रुझान कम ही दिखता है।



