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यूपी में बसपा के किले में सेंध लगाने की कोशिश में बीजेपी-कांग्रेस, जानिए क्या है प्लान

लोकसभा चुनाव-2024 से पहले सभी राजनीतिक दल ओबीसी वोटरों को अपनी ओर करने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। खासकर जाटव वोटरों को लेकर सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। 2022 में बीजेपी ने जाटव मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की और बीजेपी को फायदा मिला। मायावती से खिसकर जाटव बीजेपी की ओर शिफ्ट हो गए। इस बार बीजेपी और अधिक गंभीर दिखाई दे रही है।

लोकसभा चुनाव 2024

हमेशा जाटव बसपा के लिए वफादार रहे, लेकिन अब अन्य विकल्प देख रहे

दलित वोटरों की बात करें तो जाटव वोटरों का मायावती के प्रति वफादारी बहुत ज्यादा रही है, लेकिन पिछले एक दशक में बसपा की गिरावट का फायदा बीजेपी और कांग्रेस को मिला। यही वजह है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में जाटव वोटर बसपा का समर्थन नहीं करने की मूड में दिखाई दे रहे हैं। यह सिलसिला 2014 के लोकसभा चुनाव में शुरू हुआ, जब गैर जाटव दलितों को बीजेपी अपने पक्ष में लाकर बसपा वोट बैंक में सेंध लगाई। 2022 यूपी चुनावों में बसपा का वोट शेयर गिरकर 12.88 फीसदी रह गया। इससे साफ हो गया कि जाटव भी अब अन्य विकल्पों की ओर देख रहे हैं।

2024 का चुनाव बसपा का भविष्य तय करेगा

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बसपा के लिए लोकसभा चुनाव-2024 करो या मरो वाला होगा, क्योंकि नतीजे तय करेंगे की पार्टी की बागडोर मायावती के हाथों से उनके भतीजे आकाश आनंद को सौंपी जाए या नहीं। साथ ही ये चुनाव 2027 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी असर डालेगा। बीजेपी और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि अगर बसपा 2024 के चुनावों में छाप छोड़ने में विफल रहती है तो उसके लिए आगे की राह बहुत कठिन हो जाएगी। यही कारण है कि कांग्रेस भी दलित हितैषी पार्टी के रूप में देखी जाने लगी है। वहीं, बीजेपी को गैर यादव ओबीसी वोट और गैर जाटव दलित वोटरों का समर्थन मिलने का भरोसा है। इनको लुभाने के लिए बीजेपी ने एक खास योजना बनाई है।

बीजेपी आयोजित कर रही है दलित सम्मेलन

बीजेपी विभिन्न जिलों में दलित सम्मेलन आयोजित कर रही है। सम्मेल में सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी लगातार शिरकत कर रहे हैं। यही नहीं बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण और गुलाब देवी जैसे दलित मंत्रियों को भी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए कहा गया है। 17 अक्टूबर को शुरू हुआ दलित सम्मेलनों का सिलसिला 2 नवंबर को रमाबाई अंबेडकर मैदान में एक रैली के साथ समाप्त होगा। वहीं, कांग्रेस ने 9 अक्टूबर को बसपा संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर दलित गौरव संवाद शुरू किया, जोकि डेढ़ महीने चलेगा। ये 26 नवंबर को खत्म होगा।

कांग्रेस भी दलित को लुभाने में जुटी

कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि अल्पसंख्यक का झुकाव उसकी ओर दिखाई दे रहा है, लेकिन केवल मुस्लिम समर्थन से उसे आगे बढ़ने में मदद नहीं मिलेगी। यदि कांग्रेस बसपा के दलित वोटरों में सेंध लगा सकती है तो वह बीजेपी को लोकसभा सीटों पर एक मजबूत दावेदार के रूप में खुद को रख सकती है। यूपी की सभी लोकसभा सीटों पर दलित मजबूत स्थिति में है। ऐसे में सभी पार्टियों के लिए उन्हें लुभाना अहन हो गया है।

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