लोकसभा इलेक्शन 2024: जानिए क्यों लगातार हार के बाद भी अखिलेश यादव नहीं बदल रहे अपनी चुनावी रणनीति
उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी भले ही लगातार चुनावों में हार का सामना कर रही हो। लेकिन अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति में कोई बदलाव नहीं किया है। उन्होंने लगातार छोटे दलों को साथ जोड़ने का प्रयास जारी रखा है। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भी ऐसा ही प्रयास देखने को मिल रहा है। तो ऐसा क्या है कि अखिलेश यादव अपनी रणनीति पर कायम हैं? इसका जवाब आपको समाजवादी पार्टी के चुनावों में प्रदर्शन से मिलेगा। भले ही सत्ता तक न पहुंचे हों लेकिन अखिलेश की रणनीति पार्टी का जनाधार बढ़ाने में कारगर सिद्ध हो रही है।

अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में उसका वोट प्रतिशत घटा था। लेकिन इसके बाद अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति बदली और बड़े दलों की बजाए छोटे दलों को टार्गेट करना शुरू किया। उन्होंने भाजपा से अलग हुए सुभासपा को जोड़ा। अपना दल कमेरावादी को साथ लाए, राष्ट्रीय लोकदल तो शुरू से उनके साथ ही था। इस तरह से अखिलेश ने बीजेपी को पूरे प्रदेश में घेरने की पूरी कोशिश की। 2022 के विधानसभा चुनावों में ये अखिलेश की ही रणनीति थी कि सपा करीब 32 फीसदी के वोट शेयर हासिल करने वाली पार्टी बन गई। वो अलग बात है कि वह सत्ता से दूर रह गई।
2017 से पहले 30 फीसदी वोट शेयर होता था सत्ता की चाबी
अखिलेश की इस पूरी रणनीति काे समझने के लिए आपको यूपी में हुए पिछले तीन विधानसभा चुनावों पर एक बार नजर डालनी होगी। दरअसल उत्तर देश में 2017 से पहले के विधानसभा चुनावों में एक पैटर्न था कि जिस पार्टी ने 30 फीसदी या उससे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत हासिल कर लिया, वह सरकार बना लेती थी।



