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बिहार सरकार को अपनी अरबों रुपये की जमीन के बारे में कुछ भी पता नहीं, जानिए उस पर किसका है कब्जा

बिहार के सीतामढ़ी समेत सभी 38 जिलों के 338 प्रखंड कार्यालय परिसर में कृषि विभाग की दो-दो एकड़ भूमि है। ये भूमि उद्यान नर्सरी की है। फिलहाल 338 प्रखंडों में उद्यान नर्सरी की भूमि किस हालत में है। सरकार को कोई खबर नहीं है। भूमि अधिग्रहण के वर्षों बाद सरकार अब पता लगा रही है कि आखिर उद्यान नर्सरी की भूमि सुरक्षित है। उस पर कोई निर्माण कार्य तो नहीं हुआ है। दो वर्षों के अंदर सरकार के तीन विभागों से जिला प्रशासन के पास तीन पत्र आए हैं। अब सीतामढ़ी प्रशासन ने जिले के 9 सीओ को पत्र भेजकर उद्यान-नर्सरी की जमीन वाली रिपोर्ट मांगी है। इस बीच, कृषि विभाग को आशंका है कि उद्यान-नर्सरी की जमीन पर सीओ ने किसी सरकारी विभाग के भवन निर्माण के लिए कहीं एनओसी तो नहीं दे दिए हैं! कृषि/राजस्व/उद्यान निदेशालय के पत्र के आलोक में एडीएम मनीष शर्मा ने संबंधित पदाधिकारियों को उद्यान नर्सरी की भूमि को प्रखंड के अभिलेख से चिन्हित करने का आदेश दिया है।

उद्यान नर्सरी की भूमि पर भवन तो नही !

कृषि सचिव ने सभी जिलों के डीएम को पत्र भेजा है। उसमें कहा गया है कि सूबे में 338 प्रखंड भवन के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान उद्यान नर्सरी के लिए भी भूमि अधिग्रहित की गई थी। तब ये भूमि अभिलेख में प्रखंड सह अंचल के नाम से दर्ज कराई गई थी। इस बीच, कृषि विभाग को खबर मिली है कि उद्यान-नर्सरी की उक्त भूमि को प्रखंड सह अंचल की संपत्ति मानकर उस पर पक्का निर्माण के लिए सीओ के स्तर से एनओसी दिया जा रहा है। इस तरह नर्सरी की भूमि को विभिन्न विभागों की ओर से अतिक्रमित किया जा रहा है।

विरोध करने पर सीओ मांगते है कागज

कृषि सचिव ने कहा है कि जब उद्यान नर्सरी की भूमि पर लगे पौधे की कटाई का उद्यान पदाधिकारी विरोध करते है, तो उनसे संबंधित सीओ नर्सरी की भूमि का कागजात की मांग की जाती है। उस दौरान उद्यान के अधिकारी कागजात उपलब्ध नहीं करा पाते हैं। कारण ये कि जमीन तो अभिलेख में प्रखंड सह अंचल के नाम से दर्ज है, यानी उद्यान विभाग की भूमि तो है, पर उसके पास कोई कागज नहीं है। कागज तो प्रखंड सह अंचल कार्यालय के पास होगा। ऐसे हालत में उद्यान के अधिकारी कुछ नहीं कर पाते है।

उद्यान नर्सरी की भूमि के पहचान चिन्ह

कृषि सचिव ने डीएम को बताया है कि प्रखंड/अंचलों में उद्यान नर्सरी की अधिगृहित भूमि के पहचान के कई चिन्ह है। जैसे उक्त भूमि पर पेड़-पौधों लगे होंगे। इसके आलावा उद्यान नर्सरी की भूमि को कंटीले तारों से घेराबंदी की गई थी। उसका अवशेष बचा होगा। वर्ष 2005 में उद्यान निदेशक ने राजस्व विभाग को 234 प्रखंडों में उपलब्ध नर्सरी की भूमि की सूची सौंप कर उसका प्रकाशन बिहार गजट में कराने का आग्रह किया था। यह संभव नहीं हो सका। विभाग ने उद्यान नर्सरी की भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराकर हस्तांतरित करने का आग्रह किया है, ताकि उस पर नर्सरी लगाकर किसानों को सस्ते दर पर पौधे की आपूर्ति की जा सके।

इन प्रखंडों में है उद्यान की जमीन

सूबे के जिन जिलों के प्रखंडों में उद्यान नर्सरी की भूमि है, उनमें सीतामढ़ी जिले के क्रमश: पुपरी, सोनबरसा, सुरसंड, बाजपट्टी, परिहार, मेजरगंज, रून्नीसैदपुर, बेलसंड तथा बैरगनिया प्रखंड शामिल है। कृषि विभाग की सूची के अनुसार, शिवहर जिले के शिवहर तथा पिपराही, मुजफ्फरपुर जिला के मुशहरी, मीनापुर, औराई, गायाघाट, मुरौला, कटरा, बरूराज, बोचहां, सकरा, सरैया, कांटी तथा साहेबगंज प्रखंड शामिल है। इसी तरह सूबे के सभी 38 जिलों के 338 प्रखंडों में उद्यान नर्सरी की भूमि है, जिसका पता लगाया जा रहा है।

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