World

ठेले पर आइसक्रीम बेचने वाले आरजी चंद्रमोगन, कभी ₹65 थी सैलरी, आज अंबानी-अडानी के साथ अमीरों की रेस में

आपने भी Hutsun की आइसक्रीम खाई होगी या फिर उसका दही, बटर जैसे डेयरी प्रोडक्ट इस्तेमाल किया होगा। साल 1970 में शुरू हुआ ये आइसक्रीम ब्रांड अपने स्वाद और फ्लेवर के चलते लोगों के बीच काफी पॉपुलर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसक शुरुआत ठेले पर कुल्फी बेचने वाले एक शख्स ने की है। वो शख्स जिसकी सैलरी कभी 65 रुपये थी, उसने अपनी सेविंग के पैसों को लगाकर आइसक्रीम का काम शुरू किया। आज उसकी कंपनी 20 हजार करोड़ की बन चुकी है। आज कहानी हटसन (Hatsun Agro Product Limited) के फाउंडर आरजी चंद्रमोगन की।

​कौन हैं आरजी चंद्रमोगन​

​कौन हैं आरजी चंद्रमोगन​

कभी ठेले पर कुल्फी बेचने वाला आज देश के दिग्गज कारोबारियों में शामिल है। अमीरों की लिस्ट में वह मुकेश अंबानी, गौतम अडानी जैसे कारोबारियों के साथ रेस में दौड़ रहे हैं। आज कहानी ऐसे ही एक शख्स की, जिससे साबित कर दिया कि अगर आपके अंदर किसी काम को करने की शिद्दत है तो जिंदगी की मुश्किलें छोटी हो जाती है। हटसन एग्रो प्रोडक्ट के मालिक आरजी चंद्रमोगन का जन्म तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के थिरुथंगल में हुआ। शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई। परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। पढ़ाई छोड़कर उन्होंने एक लकड़ी मिल में नौकरी कर ली, जहां उन्हें सैलरी के तौर पर 65 रुपये मिल जाते थे।

नौकरी छोड़ ठेले पर बेचने लगे आइसक्रीम​

​नौकरी छोड़ ठेले पर बेचने लगे आइसक्रीम​

R. G. Chandramogan करीब एक साल तक 65 रुपये की सैलरी पर काम करते रहे। अचानक दिमाग में अपना काम शुरू करने का प्लान आया। थोड़ी बहुत खुद की सेविंग थी और घरवालों ने जमीन बेचकर उन्हें 13,000 रुपये दिए। इन्हीं पैसों से उन्होंने 1970 में आइसक्रीम का काम शुरू कर दिया। रोयापुरम में 250 वर्ग फुट की जगह किराए पर ली और तीन कर्मचारियों के साथ मिलकर उन्होंने आइसक्रीम बनाने का काम शुरू कर दिया। आइसक्रीम बेचने के लिए वो खुद ठेला लेकर निकल जाते थे। धीरे-धीरे लोगों को उनके आइसक्रीम का स्वाद पसंद आने लगा। कारोबार के पहले 10 साल उनके लिए काफी संघर्ष से भरे रहे।

​आज 4 लाख किसान जुड़े​

​आज 4 लाख किसान जुड़े​

शुरुआत में उनका फोकस छोटे गांव और कस्बे में था। साल 1981 में उन्होंने अपना आइसक्रीम ब्रांड अरुण लॉन्च किया। गांव का सफर शहरों तक पहुंच गया। उनकी कमाई भी बढ़ने लगी। काम बढ़ने लगा तो साल 1886 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदलकर हटसन एग्रो प्रोडक्ट रख दिया। आज उनकी कंपनी हटसन एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड बिक्री के हिसाब से देश की सबसे बड़ी प्राइवेट डेयरी कंपनियों में से एक है। उनके साथ 10 हजार गांवों से 4 लाख किसान जुड़े हैं। आज उनकी कंपनी आइसक्रीम के अलावा आरोक्य मिल्क, हटसन दही, हटसन पनीर और इबको आदि बेचती है। दुनिया के 38 देशों में हटसन के प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट किए जाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button