चिकित्सा शिक्षा की लागत कम करने से स्वास्थ्य सेवाएं होंगी सस्ती: आर्थिक सर्वेक्षण.
नई दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में चिकित्सा शिक्षा की लागत को कम करने पर जोर दिया गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, चिकित्सा शिक्षा की बढ़ती लागत के कारण हजारों छात्र चीन, रूस, यूक्रेन और फिलीपींस जैसे देशों में पढ़ने के लिए जाते हैं।
क्यों है यह महत्वपूर्ण?
चिकित्सा शिक्षा की उच्च लागत कई भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ी बाधा है। इससे न केवल छात्रों पर आर्थिक बोझ पड़ता है, बल्कि देश में चिकित्सकों की कमी भी बढ़ सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा की लागत को कम करके हम स्वास्थ्य सेवाओं की लागत को भी कम कर सकते हैं।
सर्वेक्षण में क्या कहा गया है?
सर्वेक्षण में कहा गया है कि निजी चिकित्सा संस्थानों में एमबीबीएस की फीस 60 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक है। इस उच्च लागत के कारण कई छात्र विदेशों में चिकित्सा शिक्षा लेने के लिए जाते हैं। हालांकि, विदेशों में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता हमेशा अच्छी नहीं होती है।
क्या हैं समाधान?
- सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाना: सरकार को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए ताकि अधिक से अधिक छात्रों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा मिल सके।
- निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस को नियंत्रित करना: सरकार को निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
- छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करना: सरकार को मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करके उन्हें चिकित्सा शिक्षा लेने में मदद करनी चाहिए।



