नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सोमवार को न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई।
10 मार्च को केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी।
शपथ ग्रहण समारोह सुप्रीम कोर्ट परिसर में हुआ, जिसमें अन्य न्यायाधीश भी मौजूद रहे।
न्यायमूर्ति बागची के शपथ लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अब 34 में से 33 पद भरे गए हैं।
6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति बागची को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए सिफारिश की थी।
न्यायमूर्ति बागची वर्ष 2031 में न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं।
कॉलेजियम ने कहा कि उसने वरिष्ठता, योग्यता, ईमानदारी और विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह सिफारिश की।
4 जनवरी 2021 को उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था।
बाद में 8 नवंबर 2021 को वे फिर से कलकत्ता उच्च न्यायालय में वापस आ गए थे।
उन्होंने उच्च न्यायालय में 13 वर्षों से अधिक समय तक न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दी हैं।
अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने कानून के विभिन्न क्षेत्रों में गहरी विशेषज्ञता हासिल की है।
18 जुलाई 2013 को भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर के सेवानिवृत्त होने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट से कोई CJI नहीं बना है।
25 मई 2031 को न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन के सेवानिवृत्त होने पर न्यायमूर्ति बागची का CJI बनना तय माना जा रहा है।
न्यायमूर्ति बागची 2 अक्टूबर 2031 को सेवानिवृत्त होंगे, जिससे उन्हें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कुछ महीनों का कार्यकाल मिलेगा।
न्यायमूर्ति बागची को कानून के विभिन्न पहलुओं पर गहन जानकारी रखने वाला अनुभवी न्यायाधीश माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति को न्यायपालिका में विविधता और योग्यता को बढ़ावा देने वाला कदम बताया जा रहा है।
उनकी नियुक्ति से कानूनी क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ने की उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बागची का कार्यकाल महत्वपूर्ण फैसलों में प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
उनकी नियुक्ति को लेकर कानूनी जगत में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है।



