शिव और सीलन में फर्क तो पहचानिए, हर चीज को ले उड़ना सही नहीं!
पूरे देश की नजर उत्तरकाशी पर है। यहां सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूर फंसे हुए हैं। इन मजदूरों के साथ उनके परिजनों की सांसें भी थमी हुई हैं। हर कोई उनके सकुशल बाहर निकलने की दुआएं कर रहा है। सेना समेत पूरी सरकारी मशीनरी इस रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है। 12 नवंबर से सुरंग में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक कई चुनौतियां सामने आई हैं। देश-विदेश के एक्सपर्ट दिन-रात इसमें जुटे हैं। जरा सी चूक पूरे ऑपरेशन में की गई मेहनत को शून्य कर सकती है। यही कारण है कि इस काम को पूरी संजीदगी से करने की जरूरत है। अटकलें, अनुमानों और अफवाहों से जितना बचा जाए उतना अच्छा है। लेकिन, ऐसा होता दिख नहीं रहा है। इस बेहद गंभीर रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच अजीबो-गरीब दावे भी हो रहे हैं। इसमें ‘ऐंगलबाजी’ और दूसरों से कुछ अलग दिखाने की होड़ सबसे बड़ी वजह है। सोमवार को अचानक ही पूरे सोशल मीडिया पर सुरंग के बाहर बना मंदिर फोकस में आ गया। किसी ने चिड़िया उड़ाई और हर कोई उसे पकड़ने में लग गया। दावा किया जा रहा है कि सुरंग के बाहर भगवान शिव जैसी आकृति उभर आई है। लोग इस आकृति की तस्वीर को भी जमकर शेयर कर रहे हैं। दावे को सच साबित करने के लिए एक से बढ़कर एक किस्से बनाए जाने लगे हैं।
आस्था और अंधविश्वास के बीच का फर्क रखना जरूरी

आस्था होने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन, आस्था और अंधविश्वास के बीच बारीक फर्क का बना रहना भी जरूरी है। अंधविश्वास आंखों और कानों को धोखा दे जाता है। जो चीज होती नहीं, वह दिखाई और सुनाई देने लगती है। उस पर भरोसा होने लगता है। यह कतई सही नहीं है। फिर आजकल लोग सस्ती सुर्खियां बंटोरने के लिए जिस हद तक उतारू हैं, उसमें तो और भी सावधान रहने की जरूरत है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच मंदिर और भगवान शिव का ऐंगल ढूंढ लेना उसी का हिस्सा हो सकता है।



