रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में परिसीमन के मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी परिसीमन के प्रयास हुए थे, लेकिन उन्हें स्थगित करना पड़ा था। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि परिसीमन केवल जनसंख्या के आधार पर करना न्यायसंगत नहीं होगा।
मुख्यमंत्री सोरेन ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन द्वारा परिसीमन के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि परिसीमन जैसे गंभीर मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श आवश्यक है, ताकि सभी समुदायों और क्षेत्रों के हित सुरक्षित रह सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में पहले भी परिसीमन के प्रयास हुए हैं, लेकिन विभिन्न कारणों से उन्हें स्थगित करना पड़ा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि परिसीमन प्रक्रिया में जनसंख्या के साथ-साथ भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि झारखंड एक विविधतापूर्ण राज्य है, जहां विभिन्न जनजातीय और गैर-जनजातीय समुदाय रहते हैं। ऐसे में परिसीमन प्रक्रिया में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना आवश्यक है, ताकि किसी भी समूह के साथ अन्याय न हो।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि परिसीमन के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों के साथ व्यापक चर्चा की जाएगी, ताकि एक सर्वसम्मत निर्णय लिया जा सके। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस मुद्दे पर धैर्य और संयम बनाए रखें और अफवाहों से बचें।
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार झारखंड के सभी नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और परिसीमन के मुद्दे पर कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी संबंधित पक्षों के विचारों को ध्यान में रखा जाएगा।
इस प्रकार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने परिसीमन के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए सभी संबंधित पक्षों से इस पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया है, ताकि राज्य में समावेशी विकास और सामाजिक न्याय सुनिश्चित किया जा सके।



