यह कछुआ बंगाल की खाड़ी में 3,600 किलोमीटर की दूरी तय करके महाराष्ट्र के गुहागर समुद्र तट पर घोंसला बनाते हुए पाया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटना पहली बार रिकॉर्ड की गई है, जो ओलिव रिडले कछुओं के प्रवास पैटर्न के बारे में हमारी मौजूदा समझ को चुनौती देती है।
ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य में टैग किए गए इस कछुए का महाराष्ट्र के पश्चिमी तट पर अंडे देना यह दर्शाता है कि पूर्वी तट पर घोंसला बनाने वाले कछुए भी पश्चिमी तट पर जा सकते हैं, जो पहले के अनुमानों के विपरीत है। इस खोज ने इन समुद्री जीवों के प्रवास व्यवहार पर विस्तृत वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता पर जोर दिया है। कछुए ने गुहागर समुद्र तट पर अपने फ्लिपर्स से एक गड्ढा खोदा और उसमें 120 अंडे दिए।
स्थानीय कछुआ संरक्षण प्रबंधकों ने 27 जनवरी को नियमित निरीक्षण के दौरान इस कछुए को वापस समुद्र की ओर जाते हुए देखा और उस पर लगे टैग को पहचाना। इस घटना ने वैज्ञानिकों को ओलिव रिडले कछुओं की लंबी दूरी की यात्रा और उनके घोंसला बनाने के व्यवहार के बारे में नए शोध के रास्ते खोल दिए हैं। यह खोज समुद्री जीव विज्ञान और संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।



