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मजबूत शक पर्याप्त नहीं, अदालत ने महिला को हत्या से बरी किया।
नई दिल्ली: एक महत्वपूर्ण फैसले में, एक अदालत ने हत्या के एक मामले में एक महिला को यह कहते हुए बरी कर दिया है कि "संदेह कितना भी मजबूत क्यों न हो, वह सबूत की जगह नहीं ले सकता।"
यह निर्णय आपराधिक न्याय प्रणाली में ‘अपराध साबित होने तक निर्दोष’ के सिद्धांत के महत्व को रेखांकित करता है।
यह मामला पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य और घर के मालिक तथा उसकी पत्नी के बयानों पर आधारित था। हालांकि, अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपी महिला के अपराध को साबित करने में विफल रहा। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, और अपराध साबित करने के लिए ठोस और निर्विवाद सबूतों की आवश्यकता होती है।
यह फैसला दर्शाता है कि न्यायपालिका किस तरह सबूतों की गंभीरता और कानूनी प्रक्रियाओं के पालन पर जोर देती है। यह उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है जो केवल अनुमानों या अप्रत्यक्ष साक्ष्यों के आधार पर दोषी ठहराए जाते हैं।


