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झारखंड में जलवायु संकट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी।

राज्य के अधिकांश हिस्से जलवायु-संवेदनशील माने जाते हैं, जिससे यह खतरा और गहराता जा रहा है।

वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले दशकों में तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि संभव है। इससे कृषि उत्पादन घटेगा और पेयजल संकट जैसी समस्याएं उभरेंगी।

इस चुनौती से निपटने के लिए विभाग ने कार्बन क्रेडिट परियोजनाओं की पहचान शुरू की है। नीति विशेषज्ञों का मानना है कि हरित निवेश और सामुदायिक भागीदारी से ही इस खतरे को कम किया जा सकता है।

 

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