रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रिवेंटिव डिटेंशन के पहले चरण के बाद एडवाइजरी बोर्ड से फिर मंजूरी नहीं लेनी होगी. कोर्ट ने यह फैसला उपेंद्र यादव की याचिका खारिज करते हुए दिया. आरोपी पर कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. कोर्ट ने माना कि वह आदतन अपराधी है.
याचिकाकर्ता का तर्क था कि गिरफ्तारी का एक्सटेंशन अवैध है क्योंकि यह बिना नई मंजूरी जारी किया गया. लेकिन कोर्ट ने माना कि कानून में एक्सटेंशन के लिए बार-बार समीक्षा की जरूरत नहीं है. जजों ने कहा कि एक बार बोर्ड का मत और राज्य का कन्फर्मेशन काफी है.
फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार बिना अतिरिक्त मंजूरी के हिरासत अवधि बढ़ा सकती है. यह आदेश CCA 2002 से जुड़े मामलों में भविष्य में महत्वपूर्ण मानदंड बनेगा.

