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मंकीपॉक्स को लेकर जल्द आ सकती है वैक्सीन, औषधि नियामक ने कही ये बात.

केरल में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए कर्नाटक सरकार ने राज्य में सतर्कता गतिविधियां बढ़ाने और कड़ी निगरानी रखने का फैसला किया है। अब तक केरल में मंकीपॉक्स के तीन मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इसी को देखते हुए ‘यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी’ (EMA) ने बवेरियन नॉर्डिक द्वारा बनाए गए चेचक के टीके को मंकीपॉक्स के खिलाफ उपयोग के लिए अधिकृत करने की बात कही है।

मंकीपॉक्स की वैक्सीन

यूरोपीय संघ के दवा नियामक ने कहा कि यह सिफारिश जानवरों पर किए गए अध्ययन पर आधारित है, जिससे पता चलता है कि टीका गैर-मानव प्राइमेट को मंकीपॉक्स से बचाता है। EMA की सिफारिश के आधार पर, वैक्सीन को औपचारिक रूप से मंजूरी देना यूरोपीय आयोग पर निर्भर है।

EMA ने कहा कि मंकीपॉक्स के खिलाफ वैक्सीन की प्रभावशीलता की पुष्टि करने के लिए, कंपनी यूरोप में चल रहे मंकीपॉक्स के प्रकोप के दौरान एक अध्ययन से आंकड़े एकत्र करेगी। इसमें कहा गया है कि वैक्सीन की सुरक्षा प्रोफाइल अनुकूल है और मंकीपॉक्स के मौजूदा प्रकोप के दौरान इसके उपयोग के लाभ, ज्यादातर हल्के से मध्यम दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, जोखिमों को कम कर देते हैं। यूरोप में वैक्सीन को इम्वैनेक्स के नाम से जाना जाता है, जबकि अमेरिका में इसे जीनियोस के तौर पर बेचा जाता है। अमेरिकी नियामकों ने पहले ही मंकीपॉक्स के खिलाफ इसके उपयोग की मंजूरी दे दी है।

केरल सरकार ने जारी किया एसओपी

देश में मंकीपॉक्स का पहला मामला 14 जुलाई को दक्षिण केरल के कोल्लम जिले में सामने आया था। वहीं दूसरा मामला 18 जुलाई को सामने आया था। दोनों व्यक्ति विदेश यात्रा से लौटे थे। केरल सरकार ने मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए एसओपी जारी कर दिया था। इसके अनुसार, यदि निकट संपर्क में आए व्यक्ति को बुखार हो, तो उन्हें आइसोलेट किया जाए और यदि उनके शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं, तो उनके नमूने मंकीपॉक्स की जांच के लिए भेजे जाएं। यदि रोगी के निकट संपर्क में आए किसी व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं भी है, तब भी वे रक्तदान ना करें।

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