न्यायाधीशों को निशाना बनाने की सीमा होती है, हम पर दबाव डालना बंद करें – उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर बढ़ते हमलों का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई में देरी की खबरों पर असंतोष व्यक्त किया है। न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों को निशाना बनाने की एक सीमा होती है और उन पर दबाव डालना बंद किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि पिछली बार मामले पर सुनवाई इसलिए नहीं हो सकी थी क्योंकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कोविड-19 से संक्रमित थे। एक न्यायाधीश कोरोना वायरस से संक्रमित थे और इस वजह से हम मामले पर सुनवाई नहीं कर सके। खैर, हम इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे, वरना फिर कोई और खबर आएगी।”
ईसाई संस्थानों और पादरियों के खिलाफ हमले
उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणियाँ याचिकाकर्ता के वकील द्वारा मामले पर सुनवाई किए जाने के अनुरोध पर कीं। वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्वेज ने जून में अवकाशकालीन पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया था और कहा था कि देशभर में ईसाई संस्थानों और पादरियों के खिलाफ हर महीने औसतन 45 से 50 हिंसक हमले होते हैं। गोन्साल्वेज ने अदालत में बताया कि मई में ही ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हिंसा और हमले के 57 मामले हुए थे।
इस याचिका में देश भर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर हो रहे हमलों की घटनाओं को रोकने के लिए दिशानिर्देशों को लागू करने की मांग की गई थी। हालांकि, इसमें देरी हो गई थी।



