वो खत में रखकर भेजता था बम… पार्सल बम से अमेरिका को दहलाने वाले हार्वर्ड के जीनियस का खौफनाक अंत
अमेरिका में जारी किया अपना मैनिफेस्टो
सितंबर 1995 में काजिंस्की का खौफ अपने चरम पर था। इसी दौरान काजिंस्की ने अपना एक मैनिफेस्टो बनाया। इसने वाशिंगटन पोस्ट और द न्यूयॉर्क टाइम्स को मजबूर किया कि उसका 35 हजार पेज का मेनिफेस्टो पब्लिश किया जाए। इस मैनिफेस्टो का नाम था, ‘इंडस्ट्रियल सोसायटी एंड इट्स फ्यूचर’। इसके जरिए उसका मकसद लोगों को ये बताना था कि टेक्नॉलजी और मॉडर्न लाइफ की वजह से आम जनता की जिंदगी मुश्किल होती जा रही है। वो उद्योगपतियों के गुलाम बन रहे हैं।
अप्रैल 1996 में मोंटाना से हुई गिरफ्तारी
खैर ये मैनिफेस्टो छपवाने के लिए जब काजिंस्की ने संपर्क किया उसके भाई और भाभी ने पहचान लिया कि ये काम काजिंस्की का है। ये पहली बार हुआ था जब एफबीआई को इस गणितज्ञ का कोई सुराग हाथ लगा था। सालों तक गुमनाम अंधेरे में जी रहे काजिंस्की की तलाश शुरू हुई और फिर अप्रैल 1996 में अमेरिकी जांच अधिकारियों ने मोंटाना के आउटर इलाके से काजिंस्की को गिरफ्तार किया। वह प्लाईवुड से बने 3 बाई 4 मीटर के केबिन में था। वहां कई पत्रिकाओं का ढेर लगा था। बम बनाने वाला सामान और दो तैयार बम भी वहां मौजूद थे।
दो दिन पहले जेल के अंदर किया सुसाइड
काजिंस्की को टेरर कैंपेन चलाने के लिए चार बार उम्रकैद की सजा मिली। हर उम्र कैद की सजा 30 साल से ज्यादा थी। उसने अपने सारे गुनाह कबूल किए। उसने पुलिस को बताया कि अपने देसी बमों से 16 बार उसने लोगों को निशाना बनाया। उसके बम की वजह से 3 लोगों की जान गई जबकि 23 लोग घायल हुए। तब से काजिंस्की जेल में ही बंद था, लेकिन 10 जून के दिन काजिंस्की जेल में बेहोश हालात में मिला। काजिंस्की को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक इस विद्रोही की मौत हो चुकी थी। अमेरिका का ये जीनियस जिसने गलत राह चुनी उसने 81 साल की उम्र में खुद ही अपना अंत कर लिया




