यूपी में सपा मुख्य विपक्षी दल… एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बसपा ने दिखाई जमीन, जानिए मिले कितने वोट?
उत्तर प्रदेश के बाहर किस क्षेत्रीय दल का प्रदर्शन बेहतर है? अगर यह सवाल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के परिपेक्ष्य में किया जाए तो निश्चित तौर पर बसपा बाजी मारती दिखती है। मायावती की बसपा देश के विभिन्न राज्यों में बहुजन समाज की बात कर उन्हें राजनीतिक विकल्प देने की बात करती दिखती है। वहीं, इस बार के विधानसभा चुनाव में पीडीए यानी पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक वोट की राजनीति के आसरे अखिलेश यादव सपा को तीन राज्यों में बढ़त दिलाने का प्रयास करते दिखे। चुनावी मैदान में कम दिखने वाली मायावती ने एक बार फिर अखिलेश यादव को इस जमीन पर मात दी है। मायावती ने यूपी के बाहर अपना कद बरकरार रखा है। भले ही पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा, लेकिन समाजवादी पार्टी के मुकाबले बसपा ने बेहतर प्रदर्शन किया है। मायावती ने इस बार चुनाव में अपनी सक्रियता को बढ़ाने में कामयाब रही। इस कारण लगभग सभी राज्यों में हुए दोतरफा मुकाबलों के बीच बसपा अपने जनाधार को कुछ हद तक बचाने में कामयाब रही। तेलंगाना में पार्टी की ओर से बीआरएस के प्रति जनाक्रोश को देखते हुए अपना अलग एजेंडा दिया गया, लेकिन बसपा को यहां कोई खास सफलता नहीं मिल पाई। प्रदेश में कांग्रेस पहले नंबर पर रही। वहीं, बीआरएस को दूसरा और भाजपा को तीसरा स्थान मिला। एआईएमआईएम के बाद बसपा वोट शेयर के मामले में पांचवे स्थान पर रही। हालांकि, पार्टी को समाजवादी पार्टी से इन चुनावों में बढ़त मिलती जरूर दिख रही है।
मध्य प्रदेश में सात गुना बढ़त
मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को सपा से करीब 7 गुना अधिक वोट मिले। दरअसल, इस चुनाव में भाजपा एक बार फिर सबसे बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही। पार्टी को प्रदेश के 48.55 फीसदी वोटरों का समर्थन मिला। वहीं, दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस 40.40 फीसदी वोट शेयर हासिल करने में कामयाब रही। अखिलेश यादव ने एमपी चुनाव में कई सभाएं की। कांग्रेस के साथ तनातनी को लेकर अखिलेश ने खासी मीडिया हाइप बटोरी। लेकिन, चुनावी मैदान में सपा का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। पार्टी को महज 0.46 फीसदी वोट शेयर मिला। मायावती भी एमपी चुनाव के मैदान में उतरीं। हालांकि, उन्होंने अपना प्रचार अपने तक सीमित रखा। अधिक मीडिया हाइप भी नहीं मिली। इसके बावजूद प्रदेश में बसपा को 3.40 फीसदी वोट मिला।
वोटों के मामले में पार्टी राज्य में तीसरे स्थान पर रही। हालांकि, बसपा एक भी सीट जीत पाने में कामयाब नहीं हुई। मध्य प्रदेश में बसपा के गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया था। बसपा ने 174 और जीजीप ने 52 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। वहीं, सपा ने 46 सीटों पर कैंडिडेट खड़े किए थे। हालांकि बसपा ने मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 के चुनाव में 5.1 फीसदी वोट शेयर के साथ दो सीटों पर कब्जा जमाया था। इस लिहाज से इस बार पार्टी का प्रदर्शन कमजोर हुआ है।
छत्तीसगढ़ में भी बसपा बेहतर
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 में भी बसपा का प्रदर्शन सपा के मुकाबले बेहतर रहा। हालांकि, यहां भी भाजपा ने तमाम दलों से बाजी मारी। पार्टी को वोट प्रतिशत के लिहाज से बढ़त मिली। पार्टी को 46.27 फीसदी वोटरों का समर्थन मिला। वहीं, दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस को 42.23 फीसदी वोटरों ने वोट किया। वोट शेयर के मामले में यहां भी तीसरे नंबर पर बसपा रही। पार्टी को 2.05 फीसदी वोट मिले। हालांकि, पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिल सकी। छत्तीसगढ़ चुनाव 2018 में में 32 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इस चुनाव में 3.9 फीसदी वोट शेयर के साथ दो सीटों पर जीत दर्ज की गई। हालांकि, यहां पर सपा को गहरी निराशा हुई। पार्टी को केवल 0.04 फीसदी वोटरों का समर्थन मिल सका।
राजस्थान चुनाव में दो सीटों पर जीत
राजस्थान चुनाव ने बसपा को इस बार निराश नहीं किया। मायावती के निर्देश पर उनके भतीजे आकाश आनंद चुनाव से पहले ही राजस्थान में कैंप करने लगे थे। लगातार सभाओं के जरिए उन्होंने माहौल बनाया। हालांकि, पार्टी पिछले प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाई। इस बार 1.82 फीसदी वोट शेयर के साथ बसपा ने दो सीटें जीतीं। राजस्थान चुनाव 2018 में बसपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं, इस चुनाव में सपा ने 0.01 फीसदी वोट हासिल करने में सफलता हासिल की। राजस्थान में भाजपा 41.69 फीसदी वोट शेयर के साथ पहला और कांग्रेस 39.53 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रही।



