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 ‘जनाब आडवाणी यह हल्की चाल है…’ जब दाऊद के सवाल पर मुशर्रफ के चेहरे का रंग उड़ गया

मुंबई हमलों का गुनहगार दाऊद इब्राहिम कहां छिपा है? इस सवाल का जवाब दुनिया जानती है। पाकिस्तान इस पर हर बार झूठ बोलता रहा है। साल 2001 में जब मुशर्रफ आगरा शिखर वार्ता के लिए भारत आए तो तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने बातों में उलझाते हुए पाकिस्तानी राष्ट्रपति से दाऊद को सौंपने की बात कही। इस पर मुशर्रफ का चेहरा किस तरह देखने लायक था, इसका पूरा जिक्र उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘मेरा देश, मेरा जीवन’ में किया है। पढ़िए उनकी आत्मकथा का अंश।

जनरल मुशर्रफ 14 जुलाई, 2001 को अपनी पत्नी साहिबा के साथ नई दिल्ली पहुंचे। यह सच है कि उस समय तक भारतीयों के मन में कारगिल की कड़वी स्मृतियां ताजा बनी हुई थीं। लेकिन इसके बावजूद अपनी पुरातन परंपरा ‘अतिथि देवो भव’ को निभाते हुए जनरल मुशर्रफ और उनकी पत्नी का जोरदार स्वागत किया गया। जो शांति स्थापना की लोगों की इच्छा का स्पष्ट प्रमाण था। और चूंकि जनरल मुशर्रफ भारत में जन्मे थे, इसलिए भी उनका खूब आतिथ्य सत्कार हुआ। पुरानी दिल्ली स्थित नाहरवाली हवेली जहां वह 1943 में पैदा हुए थे और परिवार के कराची में बसने से पहले चार वर्ष तक रहे भी थे, का उनका भ्रमण भारत में उनके तीन दिन के प्रवास के दौरान मीडिया कवरेज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना।

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