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चीन ने J-20 को बनाया और ज्यादा घातक, रूसी छोड़ स्वदेशी इंजन के साथ उड़ाया, भारत की बढ़ेगी टेंशन

चीन के जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट ने पहली बार स्वदेशी रूप से निर्मित WS-15 जेट इंजन के साथ उड़ान भरी है। इसे चीनी लड़ाकू विमान के लिए गेम चेंजिंग अपग्रेड माना जा रहा है। अभी तक चीन का जे-20 लड़ाकू विमान एक कम क्षमता वाले रूसी इंजन के सहारे उड़ रहा था। बताया जा रहा है कि स्वदेशी इंजन के साथ चीनी जे-20 की पहली परीक्षण उड़ान चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप के मेन टेस्टिंग एयरफील्ड में हुई है, जो चेंगदू शहर में कंपनी की फैसिलिटी के ठीक बगल में स्थित है। चीन की इस सफलता से भारत की टेंशन बढ़ सकती है, क्योंकि दोनों ही देशों में सीमा को लेकर पुराना विवाद है। अमेरिकी डिफेंस वेबसाइट द वारजोन ने बताया है कि धुंधली तस्वीरों से यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या जे-20 में WS-10 इंजन के बजाय WS-15 लगाया गया है या नहीं। इन दोनों इंजनों को खासतौर पर जे-20 के लिए डिजाइन किया गया है। इंजन के नोजल सेरेशंस से इसकी आसानी से पहचान की जा सकती है, क्योंकि WS-10 में WS-15 की तुलना में अधिक नोजल सेरेशंस होंगे।वारजोन की रिपोर्ट में बताया गया है कि WS-15 इंजन से लैस जे-20 ने पहली बार मार्च 2022 में उड़ान भरी थी, लेकिन उस दौरान विमान में सिर्फ एक इंजन लगाया गया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन ने बड़े पैमाने पर WS-10 और WS-15 इंजन का उत्पादन किया है, जिससे जाहिर तौर पर WS-15 को J-20 में फिट करने में आने वाली तकनीकी बाधाओं पर काबू पा लिया गया है। चीन ने WS-15 इंजन की विशेषताओं का खुलासा नहीं किया है। एशियन मिलिट्री रिव्यू ने अप्रैल 2023 में बताया था कि चीन के WS-15 इंजन की थ्रस्ट रेटिंग 150-किलोन्यूटन रेंज के भीतर होने की संभावना है, जो यूएस-निर्मित F-22 के प्रैट एंड व्हिटनी F119 इंजन को टक्कर देती है।

पहले कम क्षमता के रूसी इंजन का इस्तेमाल करता था चीन

चीन ने जे-20 लड़ाकू विमान के शुरुआती मॉडल में कम शक्तिशाली रूसी सैटर्न 117S और चीनी WS-10C इंजन का उपयोग किया था। ये विमान को वांछित गति और मनुवर करने की ताकत नहीं दे पाते थे। इन दोनों इंजनों ने संभावित रूप से अमेरिकी लड़ाकू विमानों के साथ मुठभेड़ में चीनी जे-20 को कमजोर बना दिया था। उन कम शक्ति वाले इंजनों ने J-20 की अपग्रेड क्षमता में भी बाधा डाली थी, जैसे डायरेक्ट एनर्जी वेपन वाले लेजर या स्वार्म ड्रोन हथियार शामिल हैं। J-20 में कुछ समय के लिए रूसी AL-31F इंजन का उपयोग किया गया था, लेकिन यह व्यवहारिक विकल्प साबित नहीं हुआ। रूस अलग से AL-31F इंजन नहीं बेचता है, इसलिए चीन को अधिक इंजन प्राप्त करने के लिए अधिक Su-35 लड़ाकू विमान खरीदने पड़े। Su-35 लड़ाकू विमान में लगे AL-31F इंजन का इस्तेमाल जे-20 के लिए किया गया।

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