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उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्ट के जनक, जस्टिस रंजना देसाई कमिटी के सदस्यों को जानिए

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी गई है है। मई 2022 में उत्तराखंड सरकार की ओर से गठित पांच सदस्यीय समिति ने 20 महीने तक चले एक वृहत पब्लिक आउटरीच एक्सरसाइज के बाद शुक्रवार को देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड के इस ड्राफ्ट को कानूनी जामा पहनाते हुए लागू किया गया तो उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। कमिटी की मुख्य जिम्मेदारी उत्तराखंड के निवासियों के लिए विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने, रख-रखाव, हिरासत और संरक्षकता जैसे व्यक्तिगत नागरिक मामलों को विनियमित करने वाले प्रासंगिक कानूनों की जांच करना था। सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली कमिटी को पिछले साल के अंत में ही अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। आखिरी समय में निर्णय हुआ कि मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे गए मसौदे का हिंदी में अनुवाद किया जाना चाहिए। देवभूमि के सार को सुरक्षित रखा जाना जरूरी माना गया। कमिटी को लगा कि अगर राज्य विधायी विभाग अनुवाद करेगा तो कुछ बिंदुओं की गलत व्याख्या हो सकती है। इसलिए, बड़ी जिम्मेदारी कमिटी के सदस्यों शत्रुघ्न सिंह, मनु गौड़ और डॉ. सुरेखा डंगवाल पर आ गई। अधिकारियों का कहना है कि इससे ड्राफ्ट जमा करने में देरी हुई।

कमिटी ने बड़े स्तर पर किया प्रयास
विशेषज्ञ समिति की ओर से दो उप- समितियां बनाई गई। रिटायर्ड जस्टिस प्रमोद कोहली, मनु गौड़ और शत्रुघ्न सिंह के पहले पैनल कोड का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। दूसरी सब कमिटी में मनु गौर, शत्रुघ्न सिंह और डॉ. सुरेखा डंगवाल शामिल थे। उन्हें हितधारकों से परामर्श करने की जिम्मेदारी दी गई थी। कमिटी ने पब्लिक मीटिंग की। इसके अलावा हरिद्वार में हिंदू धार्मिक नेताओं से मुलाकात की गई। उन्होंने सभी हिंदू अखाड़ों से बात की। कमिटी ने कलियर शरीफ, मैंगलोर, रामनगर, हलद्वानी, काशीपुर और विकास नगर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में भी बैठकें कीं। कमिटी ने अन्य देशों में नागरिक मामलों पर कानूनों का भी अध्ययन किया। इसमें वे देश भी शामिल हैं, जहां धार्मिक आधार पर एक समान कानून नहीं है। साथ ही, उन देशों के कानून का अध्ययन किया गया, जहां कानून धर्म के आधार पर तैयार किए गए हैं।

कमिटी ने नागरिक कानूनों से संबंधित विभिन्न आयोगों के समक्ष विभिन्न मामलों के साथ-साथ व्यक्तिगत और धार्मिक कानूनों एवं धार्मिक रीति- रिवाजों का भी अध्ययन किया। पैनल ने राज्य में सक्रिय सभी 10 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया। इनमें से कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सीपीआई को छोड़कर सात ने भाग लिया। दलों ने मसले पर अपने विचार और सुझाव साझा किए। इसने सभी वैधानिक आयोगों को भी पूरा किया। आईए इस कमिटी के सदस्यों के बारे में जानते हैं।

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